मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति लगातार करवट बदल रही है. विधानसभा में उद्धव सरकार के विश्वासमत हासिल करने से पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंबई स्थित अपने आवास पर नांदेड़ से BJP सांसद प्रताप चिखलीकर ने मुलाकात की है. इस मुलाकात को लेकर प्रदेश के सियासी गलियारों में अटकलबाजियों का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है. बता दें कि यह वही प्रताप चिखलीकर हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी दिग्गज अशोक चह्वाण को उनके गढ़ में मात दी थी.
विश्वासमत के पहले मुलाकात से बढ़ी अटकलें
नांदेड़ से बीजेपी सांसद प्रताप चिखलीकर ने अजित पवार से ऐसे समय में मुलाकात की है, जब शिवेसना की अगुआई वाली प्रदेश सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है. जानकारी के मुताबिक, उद्धव सरकार को दोपहर बाद तकरीबन 2 बजे विधानसभा में बहुमत साबित करना है. ऐसे में बीजेपी सांसद और अजित पवार के बीच हुई मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. सवाल यह भी उठ रहा है कि अजित पवार की नाराजगी बरकरार है या दूर हो गई है. बता दें कि उद्धव के साथ जिन लोगों ने शपथ ली उनमें अजित पवार का नाम शामिल नहीं था.
बीजेपी सांसद से मुलाकात के बाद अजित पवार ने सफाई दी है. उन्होंने इसे शिष्टाचार भेंट बताया है. एनसीपी नेता ने कहा, ‘यह सिर्फ सदीक्षा (शिष्टाचार) भेंट थी. मुझसे अनेक दलों के नेता मिल रहे हैं. बारामती के लोग जानते हैं कि अजित पवार किधर हैं.’ अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के पद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएगी, वह उसे ग्रहण करेंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संजय राउत ने 170 का जो आंकड़ा (विधायकों की संख्या) बताई है, वहां तक हमलोग जरूरी पहुंचेंगे.
80 घंटे में गिर गई थी फडणवीस सरकार
यहां यह गौर करने वाली बात है कि बीजेपी ने अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन, विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण दोनों को चुनाव बाद सरकार गठन के 80 घंटे के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और कांग्रेस ने नया गठजोड़ बनाकर महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किया. उद्धव ठाकरे ने मुख्मंत्री के तौर पर शपथ ली. हालांकि, बीजेपी-शिवसेना का गठजोड़ टूटने के बाद तीनों दलों के बने इस नए गठबंधन को मतलबी बताया जा रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि गठजोड़ वाली नई सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं टिकने वाली है.