महाराष्ट्र में बीजेपी अपने सहयोगी दल शिवसेना को अहम मंत्रालय न देने के स्टैंड से पीछे हट सकती है। बीजेपी ने इससे पहले दावा किया था कि वह गृह, शहरी विकास और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय शिवसेना को नहीं देगी। हालांकि, शिवसेना के अड़ियल रवैये को देखकर वह इनमें से कुछ पोर्टफोलियो छोड़ने पर विचार कर रही है। बीजेपी ने पहले संकेत दिया था कि वह राजस्व विभाग शिवसेना को दे सकती है। हालांकि, अब वह उद्धव ठाकरे की पार्टी को एक या दो अन्य विभाग भी देने के लिए राजी हो सकती है, जो पिछली बार बीजेपी के पास थे।
सभी कॉमेंट्स देखैंअपना कॉमेंट लिखेंबीजेपी के एक नेता ने बताया, ‘राजस्व के साथ हम वित्त विभाग भी दे सकते हैं, लेकिन यह आखिरी फैसला नहीं है।’ हालांकि, बीजेपी नेता ने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री सहित गृह और शहरी विकास मंत्रालय सेना को नहीं दिए जाएंगे। शिवसेना ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने से मना कर दिया था, जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाले दल ने अपना रुख नरम किया है।
‘नई सरकार का शपथ लेना जरूरी’
बीजेपी मौके की नजाकत को भी समझ रही है क्योंकि पिछली सरकार का कार्यकाल पांच दिनों में खत्म हो रहा है। इसलिए वह शिवसेना के साथ समझौते में जल्दबाजी दिखा रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस रविवार को बेमौसम भारी बारिश से प्रभावित खेतों का दौरा कर रहे थे। उन्होंने साफ किया कि क्यों नई सरकार का जल्द शपथ लेना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सरकार बनाने का मसला जल्द हल हो जाएगा। एक अस्थायी सरकार पर बेमौसम बारिश की मार झेल रहे किसानों की कितनी मदद कर पाएगी? नई सरकार के जल्द गठन में ही किसानों और राज्य का हित है।’
उद्धव का फडणवीस पर निशाना
वहीं, शिवसेना अलग ही रास्ते पर जा रही है। रविवार को उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘महाराष्ट्र में किसानों को बारिश से नुकसान हो रहा है और वे कह रहे हैं कि मैं वापस आऊंगा।’ उद्धव इस बयान से महाराष्ट्र चुनाव से पहले विधानसभा में फडणवीस के आखिरी भाषण पर निशाना साध रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था वह राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में वापस आएंगे। शिवसेना प्रमुख भी भारी बारिश से प्रभावित किसानों से मुलाकात कर रहे हैं।
केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
उद्धव ने कहा, ‘राज्य सरकार ने किसानों को जो 10,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है, वह काफी नहीं है। उन्हें और ज्यादा रकम देनी चाहिए।’ उन्होंने केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ‘सरकार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली है… क्या इस समझौते को लेकर देश को विश्वास में लिया गया है?’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार RCEP पर हस्ताक्षर करने वाली है। इसका दूरगामी असर होगा। देश को इस समझौते की शर्तों के बारे में पता ही नहीं है।’
‘अमित शाह का महाराष्ट्र से दूर रहना रहस्यमयी’
शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘इसे लोकसभा और राज्यसभा में पेश ही नहीं किया गया। इस सौदे के बारे में पूरे देश को पता होने के बाद ही समझौते पर हस्ताक्षर होना चाहिए।’ मुंबई में शिवसेना के सांसद संजय राउत ने सवाल उठाया कि गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सौदेबाजी में क्यों शामिल नहीं हैं? उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के मुकाबले हरियाणा छोटा राज्य था, लेकिन अमित शाह ने वहां सरकार गठन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की प्रक्रिया से उनका दूर रहना रहस्यमयी लगता है।’