भोपाल। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच शुक्रवार को विधानसभा में मंदिर, नगर पालिक विधि, भू-राजस्व संहिता, जिला योजना समिति और नगर तथा ग्राम निवेश आदि संशोधित विधेयक पारित हो गए। इस कार्यवाही में महज 10 मिनट का समय लगा। इस दौरान भाजपा विधायक गर्भगृह में खड़े होकर नारेबाजी करते रहे। इतना ही नहीं, हंगामे के चलते विधायक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी सदन में नहीं पढ़ पाए। सिर्फ चार प्रस्तावों को पढ़ा गया।
किस विधेयक में क्या …
– मप्र नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक 2019 में पूरे प्रदेश में सभी नगरीय निकायों का कार्यकाल एक साथ शुरू होगा। पार्षद चुनेंगे महापौर और अध्यक्ष। नगरीय निकायों का परिसीमन चुनाव के दो माह पहले तक हो सकेगा। मतदाता का नाम दो जगह नहीं होगा। वहीं खाली और भरी कुर्सी का चुनाव अब नहीं किया जाएगा।
– मप्र जिला योजना समिति संशोधन विधेयक 2019 में जिला योजना समितियों में बीस सदस्य रखने का प्रावधान किया गया है। इनकी अवधि दो साल रहेगी। दो बार भी चुना जा सकता है, लेकिन कार्यकाल पांच साल से अधिक नहीं होगा। वर्तमान सदस्य तय सीमा तक समिति के सदस्य बने रहेंगे। राज्य सरकार दो लोगों को नामांकित कर सकेगी।
– मप्र भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2019 में संभाग, जिला, उपखंड, तहसील की सीमाओं में परिवर्तन करने से पहले राज्य सरकार दावे आपत्ति बुलाएगी। पांच साल से अपनी जमीन पर खेती नहीं करने और लगान नहीं चुकाने वाले किसानों की जमीन तहसीलदार जांच के बाद कब्जे में लेकर एक साल के लिए भू-स्वामी की सहमति से पट्टे पर दे सकेंगे। तहसीलदार इसे वापस भी दिला सकेंगे। वहीं आबादी क्षेत्र में भूमि का आवंटन भूमिस्वामी अधिकार के साथ किया जाएगा।
दो बार गर्भगृह में पहुंचे भाजपा विधायक, एक बार वॉक आउट
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों ने एक बार वॉक आउट किया, तो दो बार गर्भगृह में उतरकर नारेबाजी की। सरकार पर पोषण आहार व्यवस्था फिर से ठेकेदारों के हाथों में सौंपने, अतिथि विद्वानों को गुमराह करने, किसानों का कर्ज माफ करने सहित कई आरोप लगाते हुए भाजपा विधायक पहली बार दोपहर 12:20 बजे गर्भगृह में पहुंचे और नारेबाजी की। 12:32 पर विपक्ष ने वॉक आउट किया और 12:47 पर विपक्ष दोबारा गर्भगृह में पहुंच गया। भाजपा विधायक दोपहर 1:17 बजे (विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने) तक गर्भगृह में डटे रहे।