भोपाल । Madhya Pradesh News वृद्धावस्था, सामाजिक सुरक्षा सहित अन्य पेंशन 300 से बढ़ाकर 600 रुपए प्रतिमाह करने का निर्णय प्रदेश के निराश्रितों के लिए भारी पड़ गया है। राज्य सरकार ने निराश्रित और नि:शक्तजनों के लिए आश्रम, रैन बसेरे, डे-केयर सेंटर खोलने पर खर्च की जाने वाली निराश्रित निधि पेंशन बांटने में खर्च कर दी।
जनता से किया वादा पूरा करने के लिए सरकार ने इस फैसले में रोड़ा बन रहे नियमों को भी बदल दिया। 40 लाख से ज्यादा लोगों को पेंशन बांटने के लिए इस खाते से 750 करोड़ रुपए निकाले गए हैं। इसमें से करीब 40 फीसदी राशि सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग खर्च कर चुका है।
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश की जनता से वृद्धावस्था, सामाजिक सुरक्षा सहित तमाम तरह की पेंशन एक हजार रुपए मासिक करने का वादा किया था। सरकार ने कामकाज शुरू करते ही इस वादे पर अमल किया और पेंशन राशि 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए मासिक कर दी।
इस वादे को पूरा करने में खजाने की माली हालत आड़े आ रही थी, तो सरकार ने विभाग के पास निराश्रित निधि में जमा करीब 1200 करोड़ रुपए से पेंशन बंटवा दी। सूत्र बताते हैं कि विभाग के अफसरों ने पहले इसका विरोध किया और यह भी बताया कि नियमों में पेंशन बांटने का प्रावधान नहीं है।
यह बात सामने आने पर सरकार ने नियमों में संशोधन कर पेंशन बांटने के लिए 750 करोड़ रुपए निराश्रित निधि मद से निकालने का फैसला सुना दिया। सरकार एक हजार करोड़ चाहती थी, लेकिन विभाग ने भोपाल में प्रस्तावित ओल्ड एज होम के लिए 300 करोड़ रुपए की जरूरत बताकर 750 करोड़ रुपए देने की सहमति दी।
स्कूल, आश्रम के लिए होती है निराश्रित निधि
प्रदेश के कृषि उपज मंडियों में तिलहन, दलहन, अनाज, कपास और सोयाबीन की बिक्री पर क्रेताओं से 0.2 फीसदी की दर (प्रति सौ रुपए पर 20 पैसे) से निराश्रित सहायता राशि ली जाती है। इस राशि से निराश्रित और नि:शक्तों के लिए आश्रम, फुटपाथ पर निवास करने या सोने वालों के लिए रैन बसेरे, डे-केयर सेंटर, निराश्रित व नि:शक्त बच्चों के लिए आवासीय-गैर आवासीय विशेष स्कूल, रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण केंद्र खोले जा सकते हैं।
इनका कहना है
विभाग को निराश्रित निधि खाते से राशि बांटने के निर्देश दिए गए थे। उसी से राशि बांटी जा रही है और ये गलत भी नहीं है। राशि बांटने से पहले नियमों में संशोधन भी किया गया है।
– जेएन कंसोटिया, अपर मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग