नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी. महाराष्ट्र सरकार इस केस को एसआईटी को सौंपने वाली थी, इससे पहले ही गृह मंत्रालय ने इस केस को एनआईए को सौंप दिया. महाराष्ट्र सरकार ने गृह मंत्रालय के निर्णय पर आपत्ति जताई है.
महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि केंद्र सरकार ने यह फैसला राज्य सरकार की सहमति के बिना लिया है. मामले की जांच पुणे पुलिस कर रही थी. अनिल देशमुख ने अपने एक ट्वीट में कहा, “मैं केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करता हूं. यह संविधान के खिलाफ है.”
गौरतलब है कि पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा हुई थी. पुलिस ने 162 लोगों के खिलाफ 58 केस दर्ज किए थे. कुछ दिनों पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने पुणे में एक प्रोग्राम में कहा था कि भीमा-कोरेगांव प्रदर्शन से संबंधित मामलों की जांच अवश्य की जाएगी. पुलिस ने दावा किया था कि पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद में भड़काऊ भाषणों के कारण हिंसा हुई. बाद में तेलुगू कवि वरवर राव और सुधा भारद्वाज सहित वामपंथी झुकाव वाले कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार और राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की समीक्षा करने के लिए गुरुवार को वरिष्ठ अफसरों से मुलाकात की थी. मुंबई के राज्य सचिवालय में एक घंटे से भी ज्यादा समय तक रिव्यू मीटिंग चली थी. ऐसी ही एक और बैठक भी होनी थी लेकिन उससे पहले ये मामला NIA को ट्रांसफर कर दिया गया है.