Budget Session: पीएम मोदी बोले, सीएए पर कुछ गलत नहीं किया, हमें फ्रंटफुट पर रहना चाहिए

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नई दिल्ली । यह तय है कि बजट सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बयानों में घमासान देखने को मिलेगा। एक तरफ जहां विपक्ष सीएए, एनपीआर को एकजुटता का सबसे बड़ा शस्त्र मानकर विरोध को और धारदार बनाने की कोशिश में जुटा है।

वहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजग सहयोगियों को भी स्पष्ट किया कि ‘इस मुद्दे पर रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है बल्कि आक्रामक तरीके से अपना पक्ष रखें।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘विपक्ष सीएए को मुस्लिम विरोधी होने का दुष्प्रचार कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि हमारे लिए अल्पसंख्यक भी उतने ही अपने हैं, जितने दूसरे नागरिक हैं।’

राजग के सहयोगी दल भी इस मुद्दे पर एकजुट

ध्यान रहे कि राजग के सहयोगी दल भी इस मुद्दे पर एकजुट हैं। पहले थोड़ा अलग रुख दिखा रहा अकालीदल अब पूरी तरह साथ है। वहीं जदयू में अलग राग अलाप रहे नेताओं को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह पहले भी बार-बार कह चुके हैं कि सीएए से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले निर्णय में इसपर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था।

नैतिक आधार पर सरकार के साथ महात्मा गांधी से लेकर प्रणव मुखर्जी और मनमोहन सिंह तक के बयान हैं। ऐसे में वर्तमान सत्र में घमासान लाजिमी है। एनडीए नेताओं ने त्रिपुरा के ब्रू जनजाति और बोडो समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री की तारीफ की।

सीएए पर सरकार के तेवर सख्‍त, कहा- विरोध के नाम पर हिंसा की जगह नहीं

नागरिकता संशोधन कानून को ऐतिहासिक फैसला बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी साफ संदेश दे दिया कि विरोध प्रदर्शनों के दबाव में सरकार इस पर झुकने वाली नहीं है। साथ ही विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा को खारिज करते हुए राष्ट्रपति ने दो टूक कहा कि बहस-चर्चा ही विवाद समाधान का रास्ता है। बजट सत्र की शुरुआत से पहले राष्ट्रपति संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे थे।

सीएए पर विपक्षी सांसदों की नारेबाजी और विरोध के बीच अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने नागरिकता संशोधन कानून को महात्मा गांधी की इच्छा के अनुरूप बताते साफ कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार के मद्देनजर इस कानून का लाया जाना अपरिहार्य था।

उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में गांधीजी ने साफ कहा था कि ‘पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं, उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है।’ उन्होंने सीएए पारित करने के लिए संसद के दोनों सदनों के सदस्यों का अभिनंदन करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और बढ़ा है और ननकाना साहिब की घटना इसका ताजा प्रमाण है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह हम सभी का दायित्व है कि विश्व के सामने पाक के ऐसे कृत्यों को बेनकाब किया जाए।