Payment Service देने वाली ऑनलाइन कंपनियों की गतिविधियों को अपने नियमन के दायरे में लाएगा RBI

0
112

मुंबई : बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने कहा है कि वह पेमेंट सेवा देने वाली ऑनलाइन कंपनियों की गतिविधियों को अपने नियमन के दायरे में लाएगा। ऑनलाइन पेमेंट क्षेत्र में इन कंपनियों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आरबीआइ ने यह फैसला किया है। पेमेंट एग्रीगेटर्स उन कंपनियों को कहते हैं, जो विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या कंपनियों को ग्राहकों की तरफ से भुगतान स्वीकार करने के अलग-अलग उपकरण मुहैया कराते हैं।

आरबीआइ ने कहा कि पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों के नियमन को लेकर उसे बहुत सी प्रतिक्रियाएं और आग्रह मिल चुके हैं। इसके अलावा ऑनलाइन भुगतान क्षेत्र में इन कंपनियों का जो महत्व है, उसे देखते हुए यह फैसला किया गया है कि इनकी गतिविधियों का नियमन किया जाए। पेमेंट एग्रीगेटर्स और पेमेंट गेटवे के नियमन दिशानिर्देशों के तहत मौजूदा पेमेंट एग्रीगेटर्स को 31 मार्च, 2021 तक 15 करोड़ रुपये की नेटवर्थ हासिल कर लेनी होगी। ऐसी कंपनियों को 25 करोड़ रुपये की नेटवर्थ हासिल करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक की मोहलत दी गई है। उसके बाद इन कंपनियों को अपने जीवनकाल में हर वक्त कम से कम 25 करोड़ रुपये नेटवर्थ की सीमा का पालन करना ही होगा।

जहां तक पेमेंट एग्रीगेशन क्षेत्र की नई कंपनियों का सवाल है, तो आरबीआइ के मुताबिक आवेदन के वक्त उनकी न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्हें प्रमाणपत्र मिल जाने के तीसरे वित्त वर्ष के अंत तक 25 करोड़ रुपये की नेटवर्थ हासिल कर लेनी होगी।

इसके अलावा जिन पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) किया गया होगा, उन्हें सरकार की कंसोलिडेटेड फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट पॉलिसी और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट से संबंधित नियमों का अनिवार्य रूप से पालन सुनिश्चित करना होगा। पेमेंट एग्रीगेटर्स को अपने ग्राहक शिकायत निवारण और विवाद निपटान प्रबंधन फ्रेमवर्क की औपचारिक सार्वजनिक जानकारी देनी होगी।