MP Politics: कोरोना संकट काल में शिवराज कैबिनेट के गठन की सरगर्मी बढ़ी, सिंधिया समर्थक दिखाएंगे दम

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भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले महीने सियासी उथल-पुथल के बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान जल्दी ही अपनी कैबिनेट का गठन करेंगे। संभवत: इसी सप्ताह वह अपने मंत्रिमंडल को शपथ दिलवा सकते हैं। कोरोना संकट के चलते सरकार की प्राथमिकता संक्रमण के नियंत्रण पर लगी हुई है। तीन सप्ताह से अकेले शिवराज ही ‘वन मैन आर्मी’ की तर्ज पर कमान संभाले हुए हैं। कैबिनेट में पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के 10 समर्थक पूर्व विधायकों के अलावा निर्दलीय और सपा-बसपा को भी प्रतिनिधित्व दिए जाने के संकेत हैं।

लॉकडाउन के कारण टलता रहा मंत्रिमंडल का गठन

राज्य में सियासी भूचाल के बाद सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों ने अपने इस्तीफे सौंपकर 15 महीने पुरानी कमल नाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया था। संख्याबल के चलते प्रदेश में चौथी बार भाजपा सरकार के मुखिया के नाते 23 मार्च को शिवराज ने शपथ ग्रहण की थी। उसके बाद से कोरोना संक्रमण की विश्वव्यापी समस्या से लॉकडाउन चल रहा है। इसलिए मंत्रिमंडल गठन भी टलता रहा लेकिन शनिवार को मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेंस में हुई चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि दो सप्ताह और आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं।

टीम गठन का बढ़ रहा दबाव

लॉकडाउन आगे बढ़ने की खबर से सबसे ज्यादा निराशा मंत्री बनने के दावेदारों को हुई है। मुख्यमंत्री पर भी अपनी टीम गठन का दबाव बढ़ रहा है, इसलिए भाजपा संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 15-16 अप्रैल को बहुत सादगी और शारीरिक दूरी सहित कोरोना से बचाव के सभी जरूरी उपायों को अपनाते हुए नए मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है।

भाजपा में एक अनार सौ बीमार

मंत्रिमंडल में अधिकतम मुख्यमंत्री सहित 35 सदस्य रह सकते हैं। शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक 10 लोगों को शपथ दिलाए जाने की संभावना है। इसके बाद 24 स्थानों के लिए भाजपा अपने विधायक दल में से दावेदारों को चुनेगा। दो दर्जन चेहरों का चुनाव ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि मंत्रिपद को लेकर ‘एक अनार सौ बीमार’ वाली स्थिति बन रही है। कई पुराने चेहरे भी इस बार दावेदारों की कतार में हैं। उथल-पुथल के दौरान भाजपा को सत्ता के साकेत तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वालों की भी पुख्ता दावेदारी है।

आधा दर्जन पुराने चेहरे

सिंधिया समर्थकों में छह तो वही चेहरे हैं जो कमल नाथ सरकार में मंत्री थे। इन सभी को संभवत: उसी महकमे के साथ शिवराज सरकार में भी वापसी कराने का आश्वासन दिया गया है। इनमें डॉ. प्रभुराम चौधरी, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और इमरती देवी शामिल हैं। इनके अलावा संभवत: बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और एदल सिंह कंषाना की भी नए मंत्रिमंडल में ताजपोशी हो सकती है। विधायकी और कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले बाकी अन्य 12 माननीयों को भी सम्मानजनक ढंग से पुनर्वास किए जाने की चर्चा है।

इनका भी ख्याल

प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल के जल्दी ही गठन का दबाव बढ़ रहा है। मंत्रिमंडल में खासतौर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों का भी ख्याल रखा जाएगा। सरकार के स्थायित्व की खातिर निर्दलीय के अलावा सपा-बसपा के सदस्यों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि कमल नाथ सरकार में भी इन विधायकों ने काफी दबाव बनाया था और ताजा उलटफेर में भी उन्होंने अपनी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर शिवराज सरकार को समर्थन देने का एलान भी किया है।