कोरोना से पैदा हुए तनाव और डर को दूर करने के लिए संगीत और योग का कैसे करें उपयोग, पीएम मोदी ने बताया

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नई दिल्‍ली। स्पिक मैके के सात दिवसीय ऑनलाइन अनुभव समारोह का सोमवार को आगाज हुआ। उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो संदेश दिखाया गया। प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में प्राचीन कला संगीत के डिजिटल संग तालमेल को समय की मांग बताते हुए कहा कि तकनीक ने राज्य और भाषा की सीमा से ऊपर उठकर एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को और अधिक सशक्त किया है। इस समय संगीत देश की सामूहिक ऊर्जा का नया स्रोत बन गया है जो कोरोना से लड़ रहे लोगों का न केवल मनोबल बढ़ाएगा बल्कि उनमें नई आशा और आत्मविश्वास भी पैदा करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे करीब तीन साल पहले भी स्‍पीक मैके (SPIC-MACAY) के इंटरनेशनल को संबोधित करने का अवसर मिला था। तब मैंने आपसे वीडियो लिंक के माध्यम से बात की थी। आज भी ऐसा संयोग है कि आप सभी मुझसे वीडियो माध्यम से ही जुड़े हैं। पूरी दुनिया में कोरोना बीमारी के कारण जो तनाव है, लोगों में जो डर और दुविधा है, उसे संगीत और कला के माध्यम से कैसे दूर किया जाए, यही आपने इस साल के कार्यक्रम की थीम भी रखी है। हमारे गायकों, गीतकारों, कलाकारों ने देश का मनोबल बढ़ाने के लिए, देश को जागरूक करने के लिए, इस लड़ाई में जोश फूंकने के लिए एक रचनात्मक अभियान खड़ा कर दिया है।

देशवासियों ने ताली-थाली बजाकर, शंख-घंटी बजाकर ऊर्जा भरी

पिछले दिनों के अनुभवों के बारे में उन्‍होंने कहा कि बीते दिनों ऐसे कितने ही संगीतमय प्रयोग हमने देखे और सुने हैं। वैसे आपको याद होगा, इस अभियान की शुरुआत 130 करोड़ भारतवासियों ने ताली-थाली बजाकर, शंख-घंटी बजाकर खुद की थी, पूरे देश को एक ऊर्जा से भर दिया था। ऐसे में जब 130 करोड़ लोग एक भावना से साथ आते हैं, एक संग जुड़ते हैं, तो ये संग ही संगीत बन जाता है। जिस तरह संगीत में एक सामंजस्य की जरूरत होती है, एक अनुशासन की जरूरत होती है, उसी तरह के सामंजस्य, संयम और अनुशासन से ही देश का प्रत्येक नागरिक आज इस महामारी से लड़ रहा है।

संगीत और योग में मेडिकेशन और मोटिवेशन की शक्ति

उन्‍होंने कहा कि संगीत या योग के माध्यम से जब हम अपनी आत्मशक्ति तक पहुँचते हैं तो ये नाद ब्रह्मनाद हो जाता है। यही कारण है कि संगीत और योग दोनों में ही मेडिकेशन और मोटिवेशन की शक्ति होती है, दोनों ही ऊर्जा के अपार स्रोत होते हैं। आज हमारा हर एक देशवासी अपने-अपने तरीके से, अपनी-अपनी क्षमता के मुताबिक सेवा के अभियान में लगा है। जिससे जो बन पड़ रहा है वो गरीबों की मदद के लिए, देश के लिए कर रहा है। संगीत और कला के माध्यम से आप भी सेवा की इस भावना को ही आगे बढ़ा रहे हैं। लोग जो सीख रहे हैं उससे 130 करोड़ देशवासियों को जोड़ भी रहे हैं।

नाद के बिना गीत संगीत और स्वर सिद्ध नहीं होते

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में तो कहा गया है-

न नादेन बिना गीतं, न नादेन बिना स्वरः।

न नादेन बिना ज्ञानम् न नादेन बिना शिवः॥

अर्थात, नाद के बिना गीत संगीत और स्वर सिद्ध नहीं होते, और नादयोग के बिना ज्ञान और शिवत्व की प्राप्ति नहीं होती। शिवत्व का मतलब है आत्म कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता का कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता की सेवा। इसलिए, हमारे यहां संगीत केवल अपने सुख का ही नहीं, बल्कि साधना और सेवा का भी माध्यम रहा है, संगीत की साधना, तपस्या का रूप रही है।

उन्‍होंने कहा कि राज्यों और भाषाओं की सीमाओं से ऊपर उठकर आज संगीत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श को भी पहले से ज्यादा सशक्त कर रहा है। आप देखिए, आज बंगाल में बैठा व्यक्ति इंटरनेट पर पंजाबी गाने सीख रहा है, पंजाब का युवा दक्षिण भारतीय संगीत सीख रहा है। लोग जो सीख रहे हैं उससे 130 करोड़ देशवासियों को जोड़ भी रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर अपनी रचनात्मकता से नए-नए संदेश भी पहुंचा रहे हैं, कोरोना के खिलाफ देश के अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।

समारोह में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद ङ्क्षसह पटेल, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, आयुष मंत्रालय के मंत्री श्रीपद नाइक व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भी शामिल हुए।