अब चीन से आयात होने वाले बिजली उपकरणों की होगी सघन जांच, सरकार ने उठाए कई कदम

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नई दिल्‍ली। भारत सरकार सीमा पर ही नहीं, हर मोर्चे पर चीन की चालबाजी से निपटने के लिए तैयार है। इसी दिशा में अहम कदम बढ़ाते हुए चीन से आने वाले सभी बिजली उपकरणों की जांच व्यवस्था को और सख्त किया जा रहा है। सरकार ने यह फैसला इसलिए किया है, क्योंकि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि चीन इन बिजली उपकरणों में मालवेयर व ट्रोजन हॉर्स जैसे वायरस के जरिये साइबर हमला कर सकता है। इनकी मदद से वह भारत के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड को फेल करने की साजिश रच सकता है और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने एक साक्षात्कार में यह बात कही।

स्‍वदेशी उपकरणों पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमें ऐसी जानकारी मिली है कि बिजली उपकरणों में ऐसे वायरस इंस्टॉल किए जा सकते हैं, जिन्हें कहीं दूर बैठकर एक्टिव करना संभव है। इनकी मदद से पूरे पावर सेक्टर और उसके साथ-साथ अर्थव्यवस्था को ठप किया जा सकता है। इसलिए हमने फैसला किया है कि इस सेक्टर की संवेदनशीलता को देखते हुए जो भी उपकरण भारत में बनते हैं, उन्हें यहीं से खरीदा जाएगा। इनके अतिरिक्त जो उपकरण नहीं बनते हैं, उनका आयात होगा, लेकिन किसी भी वायरस आदि को लेकर उनकी पूरी जांच की जाएगी।’

साइबर हमले की कोशिशें

उन्‍होंने कहा कि भारत के बिजली क्षेत्र पर साइबर हमले की पहले भी कोशिशें हो चुकी हैं। ऐसे हमले मुख्यत: चीन, सिंगापुर, रूस और कॉमनवेल्थ देशों की ओर से हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि साइबर हमले के खतरे की समीक्षा के लिए सेंट्रल इलेक्टि्रसिटी अथॉरिटी के अंतर्गत बनी कमेटी ने इसे वास्तविक खतरा माना है। आरके सिंह ने कहा कि यह बहुत गंभीर और संवदेनशील मामला है क्योंकि ऐसा करके विरोधी पूरी अर्थव्यवस्था को संकट में डाल सकते हैं। रक्षा से लेकर सभी अहम सेक्टर बिजली पर निर्भर हैं।

आयात पर लेनी होगी मंजूरी

बिजली मंत्री ने कहा कि कुछ देश जो हमारे विरोधी हैं या विरोधी हो सकते हैं, उनसे किसी भी उपकरण के आयात पर पहले से मंजूरी आवश्यक होगी। इनमें चीन व पाकिस्तान समेत ऐसे मुख्यत: ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी सीमाएं भारत से लगती हैं। उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा किसी भी देश के लिए बहुत संवेदनशील और रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्र होता है। बिजली से सभी उद्योग चलते हैं, संचार व्यवस्थाएं काम करती हैं और सभी अहम डाटाबेस की सुरक्षा भी बिजली पर निर्भर रहती है। ऐसे में इनकी सुरक्षा बहुत अहम है। हम एक फायरवॉल बनाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि ज्यादा आयात शुल्क, विदेशी उपकरणों की कड़ी जांच और विरोधी देशों से आयात से पहले अनुमति लेने जैसे कदमों पर हमारा फोकस रहेगा।

घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर रहेगा जोर

भारत ने हाल के दिनों में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने व आयात पर निर्भरता कम करने के लिए चीन से आने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता जांच के मानकों को सख्त किया है और कई वस्तुओं पर आयात शुल्क भी बढ़ाया है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पहली अप्रैल से कुछ सौर ऊर्जा उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है।

25 फीसद सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने अगस्त से सोलर मॉड्यूल पर 25 फीसद सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है। अप्रैल, 2022 तक इसे 40 फीसद किया जा सकता है। सौर सेल और सौर इंवर्टर पर भी सीमा शुल्क का प्रस्ताव है। भारत में आने वाले सोलर मॉड्यूल में 80 फीसद हिस्सेदारी चीन की है। अभी चीन और मलेशिया से इनके आयात पर 15 फीसद सेफगार्ड ड्यूटी लगाई गई है और यह ड्यूटी जुलाई में समाप्त हो जाएगी।

गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं

क्वालिटी कंट्रोल के कदमों के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) विभिन्न रसायनों, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स, भारी मशीनरी, फर्नीचर, कागज, औद्योगिक मशीनरी, रबर उत्पाद, ग्लास, धातु की वस्तुओं, फार्मा, उर्वरक और प्लास्टिक के खिलौनों समेत कम से कम 370 वस्तुओं के लिए नियमों को सख्त करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय स्तर पर उत्पादित होने वाली वस्तुओं का आयात न हो। बिजली मंत्री आरके सिंह ने भी कहा कि ऊर्जा उद्योग को ऐसे उपकरणों का आयात नहीं करना चाहिए, जिनकी स्थानीय स्तर पर आपूíत पर्याप्त है। घरेलू उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले डेवलपर्स को पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज भी उपलब्ध कराया जाएगा। फर्नीचर, एसी के लिए कंप्रेशर और ऑटो कंपोनेंट पर भी आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार हो रहा है।

आयात शुल्क से इतर कदमों पर भी विचार

वाणिज्य मंत्रालय आयात शुल्क से इतर कदमों पर भी विचार कर रहा है। इसमें ज्यादा निरीक्षण, उत्पाद की टेस्टिंग और क्वालिटी सíटफिकेशन की जरूरतों को बढ़ाने जैसे कदम शामिल हैं। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का अनुपालन करते हुए इन कदमों की मदद से चीन से होने वाले आयात पर नियंत्रण किया जाएगा। सरकार ने घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आपूर्तिकर्ताओं को उत्पादों के साथ उनके मूल स्थान की जानकारी देना भी अनिवार्य किया है। भारत में होने वाले आयात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन की है। चीन से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, औद्योगिक मशीनरी और ऑर्गेनिक केमिकल आदि का आयात होता है। पिछले साल चीन से 70 अरब डॉलर (करीब 5.2 लाख करोड़ रुपये) का आयात हुआ था।