अमेरिकी चुनाव में चीन के मुद्दे पर क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट और कितना होगा ये असरदार

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अमेरिका में इस वर्ष नवंबर में होने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए अब डेमोक्रेट और रिपब्लिकन प्रत्‍याशी पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुट गए हैं। दोनों ही पार्टियों के प्रत्‍याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन इसका दावा सही साबित होता है इसका पता तो नवंबर में चुनाव के बाद ही चल सकेगा। इस चुनाव में जीतने वाला प्रत्‍याशी जनवरी 2021 में राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेगा। फिलहाल डेमोक्रेट से जो बिडेन और रिपब्लिकन प्रत्‍याशी और मौजूदा राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्‍कर देखने को मिल रही है। दोनों के बीच एक मुद्दा भी बेहद कॉमन है। ये मुद्दा चीन का है।

चीन को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेता काफी आक्रामक दिखाई दे रहे हैं। आपको बता दें कि बीते कुछ समय से चीन अमेरिका की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। चीन के इर्दगिर्द ही कई मुद्दे ऐसे हैं जिसकी वजह से चीन अमेरिका के निशाने पर आया हुआ है। बीते करीब तीन वर्षों से ही अमेरिका चीन के प्रति सख्‍त दिखाई दे रहा है। अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर का मानना है कि आने वाले समय में इन दोनों के बीच की ये लड़ाई और तेज होगी। उनके मुताबिक इसका असर अमेरिका में इस वर्ष होने वाले राष्‍ट्रपति चुनावों पर भी दिखाई देगा।

मीरा के मुताबिक अमेरिकी राजनीतिक गलियारे में ये बात अब आम हो गई है कि चीन को जो अहमियत देनी चाहिए थी वो अमेरिका ने दी है, लेकिन बदले में उसको कुछ नहीं मिला है। ऐसे में वहां पर सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस बात को मानने लगे हैं कि चीन की इस अहमियत को कम करने की जरूरत है। यही वजह है कि अमेरिका लगातार चीन पर विभिन्‍न मुद्दों को लेकर दबाव बना रहा है। इसमें सत्‍ता पक्ष के साथ विपक्ष भी लगा हुआ है। चीन के वर्चस्‍व को कम करने के लिए दोनों का गठजोड़ काफी काम आता दिखाई दे रहा है।

मीरा की मानें तो कोरोना के मुद्दे अमेरिका चीन को लेकर काफी आक्रामक है। वहीं हांगकांग के मुद्दे पर भी लगातार वह बयानबाजी कर रहा है। चीन को लेकर पहले भी अमेरिका में कई प्रतिबंध लगाए हैं। इतना ही नहीं चीन की कंपनी और उसके कर्मचारियों के अलावा चीन के ऐप भी प्रतिबंधित किए जा चुके हैं। चीन के मुद्दे पर अमेरिका की ये दबाव की रणनीति काफी सफल होती दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि अमेरिका में चीन के विद्यार्थियों और वहां पर काम करने वालों की संख्‍या सबसे अधिक है। इसके बाद अमेरिका में भारतीयों का नंबर आता है। प्रतिबंध लगने के बाद चीन पर इसका काफी प्रतिकूल असर पड़ेगा