भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन अभी से मिशन 2023 (विधानसभा चुनाव) के ‘मोड” में आ गया है। इसके लिए विधायकों की छवि बदलने पर काम किया जा रहा है। आमतौर पर विधायकों यानी जनप्रतिनिधियों का ‘साहब” जैसा रुतबा होता है और उनके आसपास चाटुकारों की भीड़ होती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मात खा चुकी भाजपा ऐसी अप्रिय स्थिति को दोबारा नहीं आने देना चाहती है, इसलिए विधायकों को जिम्मेदार बनाया जा रहा है। उनके कामकाज का आकलन किया जा रहा है। विधायकों की भूमिका से पार्टी कोई समझौता नहीं करना चाहती है।
स्थानीय स्तर पर उनका व्यवहार, आचरण, संगठन की गतिविधियों में रुचि से लेकर कार्यकर्ताओं से उनके बारे में राय लेने संबंधी रणनीति तैयार है। इसके लिए पार्टी के रोडमैप के मुताबिक संगठन को मुस्तैद और मजबूत करना है। जिन बूथों पर पार्टी जीती या हारी, वहां की मौजूदा स्थिति का ब्योरा अभी से प्रदेश स्तर पर बुलाया जा रहा है। इसके अलावा जिन योजनाओं के जरिये आम आदमी को लाभ मिला है, उनसे संपर्क साधने के कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं।
पार्टी का यह रोडमैप जमीन पर उतरा तो कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र में कभी-कभी नजर आने वाले भाजपा विधायक क्षेत्र में सक्रिय रहेंगे। संगठन की गतिविधियों में तो शामिल होंगे ही, आमजन से भी मेल-जोल बढ़ाएंगे। ऐसे बदलाव से भाजपा के विधायकों की छवि पूरी तरह बदल दी जाएगी। यानी विधानसभा के वर्ष 2023 के चुनाव के लिए उन्हें तैयार किया जाएगा।
इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान विधायकों की छवि के कारण ही हुआ था। 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में 2013 के चुनाव में भाजपा के 166 विधायक जीते थे। 2018 के चुनाव में इनकी संख्या 109 रह गई, जबकि पार्टी ने 56 विधायकों के टिकट काट दिए थे, फिर भी पार्टी सरकार बनाने से वंचित रह गई। तब पार्टी के हर सर्वे में विधायकों के प्रति जनता और कार्यकर्ताओं में बेहद आक्रोश होने की बात सामने आई थी। कई सीटों पर पार्टी सिर्फ चेहरा न बदल पाने के कारण हारी थी।
नेतृत्व का भी यही आग्रह है : अग्रवाल
पार्टी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपनी पद्धति और परंपरा के आधार पर चलती है और हमारे नेतृत्व का आग्रह भी यही है कि जो सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्य हैं पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि उसको आत्मसात करके चलें। चुनाव की दृष्टि से ही नहीं भाजपा वर्ष भर सक्रिय रहने वाली पार्टी है। हम हर एक चुनाव की रणनीति की व्यापक तैयारी पूर्ण कार्ययोजना के साथ पहले सेे बनाते हैं। पार्टी नेतृत्व जो दिशा और कार्ययोजना सुनिश्चित करेगा उसको क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी हर एक की, हर स्तर पर होगी।