खतरे में भाजपा में शामिल होने वाले बसपा और निर्दलीय विधायक की सदस्यता

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भोपाल । बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह, सपा विधायक राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा मंगलवार को भाजपा में शामिल तो हो गए लेकिन इनमें से संजीव सिंह और विक्रम सिंह की विधानसभा सदस्यता खतरे में भी पड़ सकती है। दोनों दल-बदल कानून के दायरे में आ सकते हैं। बसपा ने संजीव सिंह के विरुद्ध कार्रवाई करने का मन बनाया है। वहीं, निर्दलीय विधायक को अयोग्य करार देने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष या राज्यपाल को शिकायत मिली तो इन पर कार्रवाई हो सकती है। मध्य प्रदेश में 1990-91 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन मिश्र ने एक निर्दलीय विधायक दिलीप भटेरे की सदस्यता ऐसे ही मामले में समाप्त की थी।

दल-बदल में फंस सकते हैं दो विधायक: प्रदेश में बसपा के दो विधायक हैं। इसमें एक पथरिया से रामबाई गोविंद सिंह हैं। दो तिहाई सदस्य यदि किसी दल की सदस्यता लेते हैं तो वे दल-बदल के दायरे में नहीं आते हैं। इस हिसाब से बसपा के संजीव सिंह कुश्ावाह के विरुद्ध शिकायत होने पर कार्रवाई हो सकती है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय सचिव सीएल गौतम का कहना है कि संजीव कुशवाह के विरुद्ध विधानसभा में शिकायत की जाएगी। उन्होंने पार्टी के चिह्न पर चुनाव जीता है। वहीं, सुसनेर से विधायक विक्रम सिंह राणा को लेकर यदि प्रमाण सहित शिकायत होती है तो उनकी सदस्यता भी जा सकती है। विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव ईसरानी का कहना है कि दल-बदल के मामलों को रोकने के लिए ही नियम विधानसभा से पारित हुए हैं।

हालांकि, विधानसभा स्वयं संज्ञान नहीं ले सकती है। सचिन बिरला की सदस्यता समाप्त करने के आवेदन निरस्त: इससे पहले बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला की सदस्यता समाप्त करने के लिए कांग्रेस विधायक दल की ओर से दिए गए दो आवेदन विस अध्यक्ष निरस्त कर चुके हैं। इसके पहले विधायक दिनेश अहिरवार और नारायण त्रिपाठी की सदस्यता भी समाप्त नहीं हो पाई थी। विस में दलीय स्थिति: जानकारों के अनुसार ये विधायक जब तक विस सचिवालय को भाजपा में शामिल होने की सूचना नहीं देते हैं, तब तक दलीय स्थिति में कोई अंतर नहीं आएगा।

यह होती है प्रक्रिया

मध्य प्रदेश विधानसभा सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियम 1986 के तहत विस अध्यक्ष को दल-बदल के संबंध में आवेदन करना होता है। जब दल परिवर्तन पर शिकायतकर्ता प्रमाण प्रस्तुत करता है तो अध्यक्ष सुनवाई कर निर्णय लेते हैं।

तीसरी बार दल-बदल

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में तीसरी बार यह दल-बदल हुआ है। पहले 2020 में 22 विधायकों ने एक साथ कांग्रेस छोड़ी थी। दूसरी बार में तीन अन्य कांग्रेस विधायक भी इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए थे।

भाजपा तो मेरा परिवार है। हां, मैं ही कुछ समय के लिए भटक गया था। गौरतलब है कि संजीव के पिता डा. रामलखन सिंह कुशवाह भाजपा से ही सांसद और विधायक रह चुके हैं। – संजीव कुशवाह

मैं तो 2018 के चुनाव में ही भाजपा से टिकट चाह रहा था, लेकिन लड़ते-लड़ते रह गया था। राज्यसभा चुनाव 2020 से ही मैं भाजपा के साथ हूं। – राजेश शुक्ला