राहुल गांधी बोले, किसानों को जबरन हटाया तो और तेज होगा विरोध

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नई दिल्ली। किसानों के आंदोलन को बलपूर्वक खत्म कराने की कोशिश का आरोप लगाते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि धमकाने-डराने की बजाय सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए। किसानों के आंदोलन की अनदेखी नहीं करने की सरकार को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन को कुचलने का प्रयास हुआ तो गांवों ही नहीं शहरों से भी विरोध की आवाज उठेगी। किसानों से आंदोलन पर डटे रहने का आह्वान करते हुए राहुल ने साफ कहा कि जब तक कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता तब तक उन्हें एक इंच भी हटने की जरूरत नहीं और कांग्रेस उनके साथ है।

यहां प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता की ताकत के बल पर सिंघु बार्डर और गाजीपुर बार्डर पर किसानों के साथ जो कुछ हो रहा है वह गलत है। किसानों की आवाज इस तरह दबाई नहीं जा सकती और प्रधानमंत्री को उनकी बात सुननी चाहिए। किसानों की आवाज बंद की गई तो आंदोलन गांवों से शहरों में फैलेगा, क्योंकि नौकरियां और रोजगार गंवाने वाला बहुत बड़ा युवा वर्ग भी अपने साथ हो रहे सुलूक के खिलाफ आक्रोश में है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय उन्हें धमका रही है। पुलिस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआए) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर किसानों को बदनाम किया जा रहा है। राहुल ने कहा कि तीनों कानूनों को निरस्त करना ही एकमात्र हल है और प्रधानमंत्री को किसानों से चर्चा कर जल्द समाधान निकालना चाहिए अन्यथा देश को बड़ा नुकसान होगा।

राहुल गांधी ने सरकार पर साधा निशाना

राहुल ने कहा कि महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों का विरोध अकारण नहीं है क्योंकि तीनों कृषि कानूनों में एक कानून मंडी को नष्ट कर देगा। दूसरा कानून चार-पांच पूंजीपतियों को देश के कृषि क्षेत्र और अनाज के भंडारण का असीमित अधिकार देगा और तीसरा कानून किसानों से अदालत जाने का हक छीन लेगा। राहुल के अनुसार इन कानूनों के जरिये देश की 60 फीसद आबादी की सबसे बड़ी संपदा कुछ पूंजीपतियों को सौंपी जा रही है और यह स्पष्ट रूप से चोरी है। सरकार पर अपने करीबी पूंजीपतियों के हित के लिए कृषि क्षेत्र को दांव पर लगाने का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि उनके लाभ के लिए किसानों की बुनियाद को ध्वस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने लालकिले पर उपद्रव किया मगर असल किसानों को निशाना बनाया जा रहा जबकि अहम सवाल ये है कि इन उपद्रवी तत्वों को लालकिले में जाने कैसे दिया गया। उनके अनुसार जाहिर तौर पर इसकी जिम्मेदारी गृहमंत्री अमित शाह की है मगर भाजपा सरकार जिम्मेदारी लेने की परंपरा में ही विश्वास नहीं करती।