हनी ट्रैप की आरोपी युवती की मानव तस्करी में नाम आने पर दो मंत्रियों ने अपने ओएसडी को हटाने की सिफारिश की है। मानव तस्करी को लेकर एसआईटी की ओर से अदालत में पेश किए चालान में खाद्य मंत्री प्रद्युम्र सिंह तोमर के ओएसडी हरीश खरे और खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल अरुण निगम के नाम हैं। पीडि़ता ने अपने बयान में दोनों ओएसडी का नाम लिया है। उसने यहां तक कहा है कि इन दोनों ने शराब पीकर उसका शारीरिक शोषण किया है। मंत्रियों ने इन्हें इनके मूल विभाग में लौटाने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। तोमर के ओएसडी हरीश खरे महिला एवं बाल विकास विभाग और जायसवाल के ओएसडी अरुण निगम अनुसूचित जाति विकास विभाग से हैं।
एक करोड़ देने वाले अज्ञात आईएएस कौन
मानव तस्करी की पीडि़ता ने अपने बयान में एसआईटी टीम को बताया है कि एक आईएएस से एक करोड़ रुपए पत्रकार गौरव शर्मा ने लिए थे। एसआईटी ने अपने चालान में उक्त आईएएस अफसर के नाम का खुलासा नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन कार्मिक विभाग के अफसर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर ये आईएएस अफसर कौन है, जिन्होंने एक करोड़ रुपए दिए हैं। यदि इस अफसर के नाम का खुलासा होता है तो उन पर सिविल सेवा नियमों के तहत कार्रवाई तो होगी ही साथ में आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज होगा।
पीसी मीणा की मांगी जानकारी
सूत्रों का यह भी कहना है कि सामान्य प्रशासन कार्मिक विभाग ने अपर मुख्य सचिव पीसी मीणा का नाम एसआईटी के चालान में आने के बाद उनकी जानकारी तलब की है। एसआईटी से यह जानकारी मांगी गई है कि पीडि़ता ने आईएएस मीणा के बारे में जो 20 लाख रुपए आरती दयाल और रुपा अहिरवार को देने का जो जिक्र किया है, उसके जुड़े तथ्य उपलब्ध कराएं। सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर कोई मीणा के हनी ट्रेप की आरोपियों से संबंध बनाने की शिकायत करता है तो सिविल सर्विस नियमों के तहत उन पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त एसआईटी से 20 लाख रुपए देने के तथ्य मिलने पर उन्हें नोटिस थमाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मीणा का अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग से हटाया गया था। इसके बाद मीणा लंबे अवकाश पर चले गए थे।