मुसीबत में इमरान, चीन-तुर्की-मलेशिया पर टिकी पाकिस्‍तान की निगाहें, भारत की पैनी नजर

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक पर दुनिया की नजरें टिकी है। भारत की भी इस पर खास नजर है। हर बार झूठ का दामन थामे पाकिस्‍तान एफएटीएफ की कार्रवाई से बचता रहा है। लेकिन अब उसकी समय सीमा समाप्‍त हो चुकी है। हालांकि, पाकिस्‍तान का आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए वह चीन, तुर्की और मलेशिया से मदद की उम्‍मीद लगाए बैठा है। आइए जानते हैं कि एफएटीएफ से बचने लिए पाकिस्‍तान ने क्‍या तर्क दिए हैं। भारती की क्‍या हैं बड़ी चिंताएं हैं। इससे बचने के लिए पाकिस्‍तान को किसका आसरा है।

पाक प्रधानमंत्री इमरान खान का दावा

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से निकालने के लिए लगातार कोई न कोई नई झूठ बोल रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान अब पहले की तरह आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह नहीं बची है। उनका यह बयान कहीं न कहीं एफएटीएफ के बचाव से प्रेरित था। पा‍क प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपको बता सकता हूं कि पाकिस्तान अब आतंकियों के लिए स्वर्ग नहीं है। इमरान ने स्वीकार किया 9/11 के बाद आतंकी गतिविधि यहां अफगानी रिफ्यूजी कैंप से चलती थी। इसे रोकना आसान नहीं था, क्योंकि यहां इन रिफ्यूजी की आबादी एक लाख से ज्यादा है।

पाकिस्‍तान का झूठ

पाकिस्तान खुद को ब्लैक लिस्ट से बचाने के लिए लगातार इस तरह के झूठे दावे करने में जुटा है। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान आर्मी की कैद से गायब हो गया है। पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान की आतंकरोधी अदालत ने 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को आतंक से जुड़े दो मामलों में 11 साल जेल की सजा सुनाई थी। यह कदम एफएटीएफ की बैठक से ठीक चार दिन पहले आया था। पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में एफएटीएफ को जानकारी दी कि उसके यहां छिपे 16 आतंकियों में से सात को मौत के घाट उतारा जा चुका है।

भारत समेत तमाम देशों का तर्क

भारत, अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया एवं अफगानिस्‍तान समेत दुनिया के तमाम मुल्‍कों ने पाकिस्‍तान को ब्लैक लिस्ट करने की सिफारिश की थी। भारत का तर्क था कि इसने हाफिज सईद को अपने फ्रीज खातों से धन निकालने की अनुमति दी है। पाकिस्तान आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराने वाले नेटवर्क का समर्थन करता है। वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पाकिस्‍तान में सक्रिय हैं और वह इन संगठनों का पनाहगार बना हुआ है। हाल ही में आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान की ग्रे-लिस्टिंग का समर्थन किया था और कहा था कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए।

चीन, तुर्की और मलेशिया पर टिकी निगाहें

हर बार की तरह पाकिस्‍तान को चीन, तुर्की और मलेशिया से मदद की आस है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत समेत तमाम मुल्‍कों ने पाकिस्‍तान को ब्‍लैक लिस्‍ट में डाले जाने का अभियान चलाया था। लेकिन अंत में चीन, तुर्की और मलेशिया के विरोध के बाद उसे इस ब्‍लैक लिस्‍ट में जाने से बचा लिया। लेकिन तीनों देश मिलकर भी उसे ग्रे लिस्‍ट में जाने से नहीं रोक सके। इस बैठक में यह फैसला होना है कि या तो पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाया या फिर उसे ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है। बता दें कि 36 देशों वाले एफएटीएफ चार्टर के मुताबिक किसी भी देश को ब्लैक लिस्ट नहीं करने के लिए कम से कम तीन देशों के समर्थन की जरूरत होती है। पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट में है। वह इससे बाहर आने की कोशिश में है।

क्‍या कहा एफएटीएफ

एफएटीएफ ने हाल में कहा है कि आतंकी फंड जुटाने के लिए कई नए तरीके अपना रहे हैं। वह सोशल मीडिया के जरिए नए फॉलोवर्स की पहचान कर रहे हैं। वह अपनी फंडिंग और अन्य सुविधाएं जुटाने के रास्ते बना रहे हैं। एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए कड़े मानक लागू किए हैं। संगठन ने कहा कि अब भी कई आतंकी संगठन अवैध गतिविधियों के जरिए फंड जुटाने में लगे हैं। एफएटीएफ लगातार नए पेमेंट के तरीकों की पहचान कर अवैध लेनदेन रोकने में जुटा है।

2018 पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल

एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। उस वक्‍त पाकिस्‍तान में ब्लैक लिस्ट से खुद को बचाने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा था। क्‍यों कि अगर संस्था को लगता है कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान को सही तरीके से लागू नहीं किया है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।