भोपाल: कमलनाथ सरकार ने एक आदेश जारी कर विधायक निधि खर्च करने के लिए कुछ सीमाएं तय कर दी हैं. अब विधायक अपनी निधि से निजी स्कूल, ट्रस्ट, एनजीओ के तहत पैसे नहीं दे सकेंगे. मध्य प्रदेश योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने विधायकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. आपको बता दें कि अधिकांश विधायकों की 50 फीसदी राशि इन्हीं क्षेत्रों में खर्च होती है. अब विधायक अपनी निधि का खर्च जनता की मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, पुल, बिजली जैसी सुविधाओं पर ही खर्च कर सकेंगे.
शिवराज सरकार के फैसले को बदला
अब विधायक किसी गैर सरकारी संस्था को राशि देकर उससे जुड़े बड़े वर्ग को साध नहीं पाएंगे. आपको बता दें कि साल 2013 में शिवराज सरकार में 2013 में यह व्यवस्था शुरू की गई थी, जिसे कमलनाथ सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है. विधायकों को निजी की बजाय सरकारी स्कूलों और संस्थाओं पर अपनी निधि खर्च करने का आदेश जारी हुआ है. जिला योजना एवं सांख्यिकी अफसरों के जरिए विधायकों तक इस संबंध में सरकार का आदेश पहुंचना शुरू हो गया है.
असेंबली में विधायक उठाएंगे यह मुद्दा
सरकार के नए आदेश से अधिकांश विधायकों में असंतोष है. वे अब सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं, छात्रावास या धर्मशाला के लिए विधायक निधि खर्च नहीं कर सकेंगे. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि विधायक निधि की अधिकतम राशि विकास कार्यों के बजाय निजी संस्थाओं पर खर्च की जाती है, जबकि आम आदमी से जुड़े काम पूरे नहीं हो पाते हैं. विधानसभा के अगले सत्र में विधायक निधि को मुद्दा बनाने की तैयारी में जुटे हैं.