भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चार मई के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि अगले विस्तार में 23 मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। इसमें आठ से 10 पूर्व विधायक पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी होंगे। यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कई कद्दावर और पूर्व मंत्रियों को इस बार कैबिनेट में स्थान नहीं मिल पाएगा।
गौरतलब है कि फिलहाल शिवराज कैबिनेट में सिर्फ पांच मंत्री हैं। इनमें से दो सिंधिया समर्थक और तीन भाजपा के कोटे से हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, शिवराज कैबिनेट के दूसरे विस्तार के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। कई स्तर पर चर्चाओं के दौर चल रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि चार मई के बाद कभी भी नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। फिलहाल जो तैयारी है, उसके मुताबिक लगभग 23 मंत्रियों को शपथ दिलाने की तैयारी है। इसमें सिंधिया कैंप के आठ से 10 वे पूर्व विधायक हो सकते हैं, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। 13 चेहरे भारतीय जनता पार्टी के हो सकते हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है कि मई के अंतिम सप्ताह या जून के प्रथम सााह में राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान हो सकता है। इसलिए कैबिनेट का विस्तार जरूरी माना जा रहा है। यह भी तैयारी की जा रही है कि कोरोना वायरस से उपजी परिस्थितियों से निपटने के लिए मंत्रियों को शपथ दिलाकर उन्हें जिलों का प्रभार सौंप दिया जाएगा ताकि वे अपने-अपने जिलों में कोरोना नियंत्रण की मॉनीटरिंग कर सकें।
24 क्षेत्रों में उप चुनाव की तैयारी
भारतीय जनता पार्टी को अगले कुछ महीनों में प्रदेश में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव का सामना करना है। इनमें से 16 विधानसभा क्षेत्र चंबल और ग्वालियर इलाके से हैं इसलिए माना जा रहा है कि कैबिनेट में शपथ लेने वाले मंत्रियों में चंबल ग्वालियर के चेहरे ज्यादा होंगे।
सिंधिया कोटे से इनको बनाया जा सकता है मंत्री
सिंधिया कोटे से इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर और प्रभु राम चौधरी तो कैबिनेट में शामिल होंगे ही। हरदीप सिंह डंग, एदल सिंह कंषाना और बिसाहू लाल सिंह को भी शपथ दिलाए जाने की संभावना है। इस कैंप से तीन अन्य चेहरों के नाम पर जातिगत संतुलन और अन्य समीकरणों को देखते हुए विचार चल रहा है।
सिंधिया समर्थक सिलावट और राजपूत बने मंत्री
बता दें कि इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दो मंत्री कैबिनेट में शामिल किए गए हैं। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को सिंधिया का सबसे भरोसेमंद माना जाता है। पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार में भी दोनों मंत्री थे। वहीं, डॉ.नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और मीना सिंह पहले भी मंत्री रह चुके हैं। गौरतलब है कि राज्य में सियासी संकट व कांग्रेस के 22 विधायकों की बगावत के बाद कमल नाथ सरकार गिर गई थी। 23 मार्च को शिवराज ने अकेले शपथ ली थी। तब से वे अकेले ही सरकार चला रहे थे। वे देश के पहले सीएम बन गए हैं, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक अकेले सरकार चलाई।