नई दिल्ली । इस साल राज्यसभा के 69 सदस्य रिटायर हो रहे हैं, जिनमें 18 भाजपा और 17 कांग्रेस के हैं। इसके अलावा चार सीटें पहले से रिक्त हैं। ऐसे में इस साल उच्च सदन की 73 सीटों के लिए चुनाव कराए जाएंगे। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा, जो विपक्षी सांसदों की संख्या में गिरावट के चलते बहुमत की ओर बढ़ रही थी, इस साल शायद ही अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार कर सके।
2018 और 2019 में कुछ राज्यों में इसे हार का सामना करना पड़ा, जिसका सीधा असर राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव परिणाम पर दिखाई देगा। दूसरी तरफ, विधानसभा चुनावों में जीत के चलते कांग्रेस या इसकी सहयोगी पार्टी की स्थिति में मामूली सुधार हो सकता है।
राज्यसभा में भाजपा के 83 और कांग्रेस के 46 सांसद
इस समय राज्यसभा में भाजपा के 83 और कांग्रेस के 46 सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और रामदास आठवले के अलावा जो प्रमुख नेता इस साल राज्यसभा से रिटायर होंगे, उनमें शरद पवार, दिग्विजय सिंह और विजय गोयल शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 10 सीटों के लिए चुनाव होंगे
इस साल उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 10 सीटों के लिए चुनाव होंगे। चूंकि राज्य में भाजपा की सरकार है, इसलिए पार्टी इनमें से ज्यादातर सीटें जीत सकती है। हालांकि, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस को मामूली लाभ मिल सकता है।
महाराष्ट्र से सात सीटें खाली हो रही हैं
उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र से सात, तमिलनाडु से छह और बंगाल और बिहार से पांच-पांच सीटें खाली हो रही हैं। चार-चार सीटें आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा से खाली होंगी। जाने-माने वकील केटीएस तुलसी, जिन्हें संप्रग सरकार ने राज्यसभा में मनोनीत किया था, भी इस साल रिटायर हो जाएंगे।