प्रमिला जयपाल के पक्ष में उतरी कमला हैरिस, विदेश मंत्री जयशंकर के फैसले का खारिज किया

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वाशिंगटन। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर शीर्ष डेमोक्रेटिक सीनेटर कमला हैरिस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी कांग्रेस की महिला प्रमिला जयपाल से मिलने से इनकार कर दिया था। इसके बाद हैरिस ने अपनी साथी भारतीय अमेरिकी कांग्रेस की महिला प्रमिला जयपाल के समर्थन में उतर आईं।

इस महीने की शुरुआत में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो चुकीं हैरिस ने एक ट्वीट में कहा कि किसी भी विदेशी सरकार के लिए यह सुनिश्चि करना गलत है कि कांग्रेस सदस्यों को कैपिटल हिल में होने वाली बैठकों में अनुमति नहीं दी जाती है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय मूल की पहली अमेरिकी सीनेटर हैरिस ने कहा कि वह इस मामले में जयपाल के साथ खड़ी हैं।

बता दें कि गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी कांग्रेेस की प्रमिला जयपाल के साथ अपनी बैठक रद कर दी। विदेश मंत्री ने कहा है कि उनको भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसियों से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं है। प्रमिला जयपाल भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस की सदस्‍य हैं। जयपाल ने कश्‍मीर के हालात का मामला कांग्रेस में उठाया है। इसको लेकर वह काफी सुर्खियों में रही हैं। बता दें कि प्रमिला जयपाल भारत के चेन्‍नई मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। वह अमेरिकी कांग्रेस की सदस्‍य हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने जयपाल की कश्‍मीर रिपोर्ट पर अपनी टिप्‍पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट पूरे हालात की स‍ही तस्‍वीर नहीं पेश करती है। इस समय यह रिपोर्ट प्रतिनिधि सभा में बहस के लिए है। बता दें कि कश्मीर से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने संसद में प्रस्ताव पेश कर रखा है। इस प्रस्ताव का पिछले काफी दिनों से अमेरिका में विरोध हो रहा है। यही नहीं इस विरोध में भारतीय अमेरिकन के समूह ने उनके दफ्तर के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी कर चुका है।

जयपाल इस प्रस्ताव के जरिए मांग कर रही हैं कि भारत सरकार जितना जल्दी संभव हो हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ दे और कश्‍मीर में संचार शुरु किया जाए। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षबलों को वहां पर काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने की शर्त भारत सरकार को कड़ी नहीं करनी चाहिए। उन्हें रिहा करने के लिए जिन बॉन्ड्स पर साइन कराया जा रहा है, उनमें भाषण और राजनीतिक क्रिया-कलापों को रोकने की शर्त नहीं होनी चाहिए। यही नहीं ऐसा दावा पेश किया जा रहा है कि इस प्रस्ताव में लोगों को कई शर्तों के साथ रिहा किया जा रहा है।

इसके तहत ये लोग बाहर निकलने के बाद राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। बता दें कि भारत सरकार ऐसे आरोपों को निराधार बता चुकी है। प्रमिला जयापाल ने जो प्रस्ताव पेश किया है। उसे सिर्फ रिपब्लिकन सांसद स्टीव वाटकिंस का समर्थन मिला है। यह साधारण प्रस्ताव है, जिस पर सीनेट में वोटिंग नहीं हो सकने की जानकारी सामने आई है और न ही इसे लागू करने के लिए कोई दबाव बनाया जा सकता है।