मुंबई : झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार पर शिवसेना ने उस पर तीखा तंज कसा है। शिवसेना ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी के नेता कहते थे कांग्रेस मुक्त हिंदुस्तान, लेकिन अब कई राज्य बीजेपी मुक्त हो गए हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि झारखंड गंवा दिया, इस पर विचार करने की उनकी मानसिकता नहीं है क्योंकि बीजेपी ने जनता को हल्के में लिया था।
सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘पहले महाराष्ट्र गया और अब झारखंड गया। बीजेपी ने एक और राज्य गंवा दिया है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और गृहमंत्री (अमित शाह) सहित पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को वहां लगाने के बावजूद बीजेपी झारखंड में नहीं जीत पाई। झारखंड में कांग्रेस-आरजेडी के समर्थन से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार आ रही है। ये बीजेपी के लिए धक्कादायक है।’
‘बीजेपी की घुड़दौड़ कई राज्यों में कमजोर’
संपादकीय में आगे लिखा है, ‘बीजेपी के नेता कहते कांग्रेसमुक्त हिंदुस्तान की घोषणा कर रहे थे लेकिन अब कई राज्य बीजेपी मुक्त हो गए हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्य बीजेपी पहले ही गंवा चुकी है।’ इसमें आगे लिखा है, ‘2018 में बीजेपी 75 फीसदी प्रदेशों में सत्तासीन थी अब उसका उतार है और जैसे-तैसे 30 से 35 फीसदी प्रदेशों में बीजेपी की सत्ता है। बीजेपी की घुड़दौड़ कई राज्यों में कमजोर पड़ती गई।’
सामना में लिखा है, ‘2018 में देश के 22 राज्यों में बीजेपी की सत्ता थी। त्रिपुरा और मिजोरम तक उनके झंडे लहराए लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि अगर त्रिपुरा में चुनाव कराए जाएं तो जनता बीजेपी की सत्ता उखाड़ फेकेंगी।’ इसमें लिखा है, ‘गृहमंत्री अमित शाह के झारखंड में हुई प्रचार सभाओं के भाषणों को जांचा जाए तो ये साफ होता है कि वहां सीधे-सीधे हिंदू-मुसलमान में मतभेद कराने का प्रयास था। विशेष नागरिकता संशोधन विधेयक के कारण बीजेपी का हिंदू मतदान प्रतिशत बढ़ेगा, ऐसी उनकी अपेक्षा थी लेकिन झारखंड के श्रमिकों और आदिवासी जनता ने प्रलोभन को नकार दिया।’
‘आदिवासी समाज ने बीजेपी को मतदान नहीं किया’
सामना में लिखा है कि आदिवासी समाज ने बीजेपी को मतदान नहीं किया। लोग अगर ठान लें तो वे सत्ता, दबाव और आर्थिक आतंकवाद की परवाह नहीं करते। अपने मन के अनुसार बदलाव लाकर रहते हैं। महाराष्ट्र में यही हुआ। बीजेपी एक के बाद एक राज्य गंवाती जा रही है। अब झारखंड भी गंवा दिया, ऐसा क्यों? इस पर विचार करने की उनकी मानसिकता नहीं है। जनता को हल्के में लेंगे तो और क्या होगा।