क्या मास्को से निकलेगा भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को दूर करने का रास्ता?

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नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हालात में पहुंच चुके हैं। वैसे दोनो देशों के बीच हालात को ठंडा करने की कोशिश भी जारी है। ऐसे में सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या मौजूदा तनाव को दूर करने का रास्ता मास्को से निकलेगा। यह सवाल इसलिए नहीं उठा है कि रूस ही फिलहाल इकलौता देश है जो दोनो देशों के साथ बेहद करीबी रिश्ते रखता है।

तीन दिवसीय यात्रा पर मास्को पहुंचे राजनाथ; रूस, भारत, चीन के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक आज

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंच चुके हैं और मंगलवार को रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की एक संयुक्त वर्चुअल बैठक भी है। रूस पहले ही अपने दोनो मित्र देशों के बीच बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके इस तनाव को खत्म करने की मंशा जता चुका है।

राजनाथ रूस के साथ रणनीतिक व रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए करेंगे वार्ता

रक्षा मंत्री सिंह ने मास्को जाने से पहले यह जानकारी दी कि वहां वे विक्टरी डे परेड के आयोजन मे शिरकत करेंगे और प्रवास के दौरान रूस के साथ रणनीतिक व रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए बातचीत करेंगे। रूस के विक्टरी डे पैरेड में भारतीय सेना का एक दल भी हिस्सा लेगा।

विक्टरी डे पैरेड में भारत व चीन के सैनिक भी हिस्सा लेंगे

यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि चीन का एक सैन्य दल और वहां के रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मास्को पहुंच रहे है। वहां जो पैरेड होगा उसमें भारत व चीन के सैनिक भी हिस्सा लेंगे। चीन के साथ सीमा पर जब तनाव एकदम चरम पर है और रोजाना रक्षा तैयारियों को लेकर गहन विमर्श का दौर चल रहा है तब रक्षा मंत्री के मास्को जाने को रूस की तरफ से संभावी मध्यस्थता से जोड़ कर देखा जा रहा है।

भारत और चीन दोनों से अच्छे संबंध रखने वाला फिलहाल अकेला देश है रूस

रूस मौजूदा वैश्विक माहौल में एकमात्र ऐसा देश है जो भारत व चीन के बीच मध्यस्थता कर सकता है। अमेरिका के साथ चीन के रिश्ते पहले से ही बेहद खराब हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस तनाव पर चिंता जताई है और यह भी कहा है कि वह दोनो देशों के साथ संपर्क में है। लेकिन रूस चीन का अभी सबसे अहम वैश्विक साझेदार देश है। दूसरी तरफ रूस भारत का सबसे पुराना व विश्वस्त देश है। भारत अपनी रक्षा जरुरतों का अभी भी 60 फीसद रूस से खरीदता है। राजनाथ सिंह के दौरे के दौरान भी एस-400, सुखोई-30 युद्धक विमान के कल-पुर्जे व टी-90 टैंकों की नई खेप के बारे में बात होने की संभावना है।

विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता

मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लोवरोव के साथ वर्चुअल बातचीत होगी। आधिकारिक तौर पर यह बताया गया है कि बातचीत सिर्फ दोनों देशों के बीच गठित विशेष संगठन से जुड़े मुद्दों पर होनी है, लेकिन जब भारत व चीन के बीच हाल के दशकों का सबसे बड़ा विवाद जारी है तब उम्मीद की जा रही है कि परोक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर यह मुद्दा भी उठेगा। जानकारों का कहना है कि चीन के साथ तनाव को देखते हुए भारत ने पहले विक्टरी डे पैरेड और विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लेने में असमर्थता जताई थी। रूस की तरफ से आग्रह के बाद भारत दोनों के लिए राजी हुआ है।