परभणी: महाराष्ट्र के सूखा पीड़ित परभणी में किसान महिलाओं ने पानी के नियोजन से फसल के उत्पाद का कीर्तिमान स्थापित किया है. केंद्र सरकार ने महिला किसान सुमन रेंगे को कृषि कर्मन पुरस्कार से सम्मानित किया है. इस साल बंगलूरु में 2 जनवरी को हुए समारोह में पीएम मोदी के हाथो सुमन रेंगे को कृषि कर्मन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा का सूखा प्रभावित क्षेत्र मेसे एक परभणी जिला है. इसी जिले के जांब गांव की महिला किसान सुमन रेंगे ने पानी के नियोजन सें रिकॉर्ड फसल उत्पादन किया. सूखाग्रस्त इलाके में जल संरक्षण के प्रयोग को सफल बनाते हुए महिला किसान सुमन ने यह कर दिखाया है.
2015 से इस इलाके में पानी की किल्लत है. बारिश ना होने से यह क्षेत्र सूखा प्रभावित रहा है. ऐसे में महिला किसान सुमन रेंगे ने सरकारी योजना से खेत में तालाब का निर्माण किया. बिना पानी के जिले में सभी किसानों की फसल बर्बाद हुई थी. फसल सूख गई थी. वहीं महिला किसान सुमन का खेत हरा भरा था और रिकॉर्ड फसल का उत्पादन हुआ था.
तालाब के जल संचय से महिला किसान ने सोयाबीन और अरहर का उत्पादन किया. महिला किसान ने सोयाबीन के साथ अरहर की फसल उगाई. एक हेक्टर पर 26 क्विंटल सोयाबीन उगाया. वहीं एक हेक्टर पर 22 क्विंटल अरहर का उत्पादन किया. जल नियोजन और फसल उत्पादन के रिकॉर्ड ने सुमन रेंगे को केंद्र सरकार के कृषि कर्मन पुरस्कार तक पहुंचाया है.
कृषि कर्मन पुरस्कार के लिए महाराष्ट्र के 2 किसानों को चुना गया. इसमें महिला किसान सुमन रेंगे का भी नाम था. उन्हें 2 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. केंद्र सरकार के 2016-17 साल के कृषि योगदान के लिए इस महिला किसान को यह पुरस्कार दिया गया है.
सुमन रेंगे को यह सम्मान पानी के नियोजन से प्राप्त हुआ है. तकनीक के साथ खेत में तालाब का निर्माण करने की वजह सुमन ने यह सम्मान प्राप्त किया है. सुमन सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बनी है.
पुरस्कार मिलने के बाद महिला किसान सुमन रेंगे बताती हैं कि परिवार की 10 एकड़ की खेती है, पहले खेत में पानी की सुविधा नहीं थी. सरकारी योजना से मैंने एक खेत में तालाब का निर्माण किया. हमारे परिसर में सूखे से पानी की किल्लत थी. पानी ना होने से किसानों की फसल बर्बाद हुई, सूख गई. लेकिन मेरे तालाब में जल संचय से मेरी फसल बच गई. यहां तक कि अधिक उत्पादन मेरे खेत में हुआ. इसी कारण मुझे यह पुरस्कार का सम्मान प्राप्त हुआ है.
किसान महिला सुमन के पति राजाभाऊ रेंगे बताते हैं कि बारिश के समय हमारे खेत से नजदीक एक नाला बहता है. उसे नाले के पानी को लिफ्ट करके हमने खेत तालाब में संचय किया. वहीं पानी हमने कुएं में भी पाइप लाइन बिछाके डाला. इस तरह हमने कुएं को भी दोबारा जिंदा कर दिया. वही पानी खेती के काम भी आया.
सुमन का बेटा राम रेंगे बताता है कि मराठवाड़ा में अकाल पडा था. बावजूद हमने फसल का रिकॉर्ड उत्पादन किया. हमने जो बीज लगाया था, वो बीज परभणी के कृषि विद्यापीठ ने बीडीएन 711 के नाम से खोजे थे. इससे काफी अच्छी फसल मिली. फिर हमने वो बीज किसानों को किसान मंडल की सहायता से बेचा तो हमें बेहद अच्छा फायदा हुआ था.