नई दिल्ली : सरकार नई ट्रांसपोर्ट नीति लाने की तैयारी कर रही है। इसे एक महीने के भीतर पेश करने की योजना है। केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इस नई ट्रांसपोर्ट नीति में इनोवेशन और रिफॉम्स पर खासतौर से जोर दिया गया है। इसके लिए इसमें वित्तीय प्रबंध भी किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने पर्यावरण की सुरक्षा और कच्चे तेल का आयात घटाने के लिए वैकल्पिक ईंधन पर जोर देने की बात भी कही। उन्होंने स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशंस से अनुरोध किया कि वे पारंपरिक ईंधन की जगह सीएनजी, एलएनजी और बायो-फ्यूल को प्राथमिकता दें।
गडकरी ने बताया कि पारंपरिक ईंधन से चलने वाहनों को कम लागत में ही वैकल्पिक ईंधन से चलने लायक बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डीजल चालित बस को सिर्फ तीन लाख रुपये की लागत से सीएनजी चालित बस में बदला जा सकता है। स्कूल बस जैसे वाहनों में सीएनजी और लंबे रूट के वाहनों में एलएनजी का प्रयोग करना उचित एवं सुविधाजनक रहेगा। इससे पर्यावरण की स्वच्छता के साथ ही कच्चे तेल के आयात में कमी भी की जा सकेगी।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने बताया कि एलएनजी के प्रयोग से बसों के इंजन को अधिक समय तक बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने यूरोपीय देशों की तर्ज पर बसों के विकास पर जोर देने की बात कही। वाहनों की गुणवत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने वाहन निर्माताओं से अनुरोध किया कि वे लागत के बजाय गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करें। इस दौरान गडकरी ने बताया कि 22 ग्रीन एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है।
इसमें एक लाख करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली-मुंबई के बीच बनने वाला एक्सप्रेस-वे भी शामिल है। इसके तीन वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि फास्टैग सिस्टम के लागू होने से प्रतिदिन प्राप्त होने वाला राजस्व 68 करोड़ रुपये से बढ़कर 87 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
इस बीच, एसोचैम के एमएसएमई एक्सीलेंस अवॉर्ड में गडकरी ने कहा कि देश की इकोनॉमी को पांच लाख करोड़ डॉलर का आकार देने के लिए अगले पांच वर्षो में एमएसएमई सेक्टर का देश के विकास में योगदान 50 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा। उनके मुताबिक इकोनॉमी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष के दौरान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।