नई दिल्ली : क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आरबीआइ का ढीला रवैया सुप्रीम कोर्ट को बेहद नागवार गुजरा है। कोर्ट ने यह माना है कि आरबीआइ के पास वित्तीय संस्थानों से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी का पूरा अधिकार है। लेकिन इस मामले में वह कोर्ट की तरफ से पूछे गये सवालों का सही तरीके से जवाब नहीं दे पाया। इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग की इजाजत देने वाले आदेश का अध्ययन करेगी। इसके बाद ही हम इस बारे में कोई फैसला करेंगे।
कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि ‘दो कमेटी द्वारा अलग-अलग रिपोर्ट दे देने के बावजूद केंद्र सरकार अभी भी वर्चुअल करेंसी पर साफतौर पर फैसला नहीं कर पाई है। आरबीआइ की ओर से बार बार कहा जा रहा है कि उसने वर्चुअल करेंसी पर रोक नहीं लगाई है। ऐसे में कोर्ट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक बरकरार रखने की स्थिति में नहीं है। इसका कोई औचित्य नहीं है।’
जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आरबीआइ के 2018 के सकुर्लर को समानता के आधार पर निरस्त कर दिया। आरबीआइ यह भी नहीं बता पाया कि वित्तीय संस्थानों को वर्चुअल करेंसी की सेवा देने से कोई हानि हुई हो। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में आतंकवादी संगठनों की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल का मुद्दा भी उठा कि किस तरह से अमेरिकी एजेंसियों और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भी दुनियाभर के आतंकवादी संगठनों की तरफ से वचरुअल करेंसी के इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।