
रायपुर। नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग को लेकर कांकेर के 58 गांव व 14 ग्राम पंचायत के आदिवासी मंगलवार को पदयात्रा कर रायपुर पहुंचे। इन्हें इंडोर स्टेडियम में ठहराया गया था। इस बात की जानकारी मिलते ही राज्यपाल अनुसुईया उइके खुद स्टेडियम पहुंच गईं। आदिवासियों से मिलकर उन्होंने कहा कि मैं समझ सकती हूं आदिवासियों की पीड़ा, क्योंकि मैं भी आदिवासी हूं। आदिवासी मूल अधिकारों से अभी भी वंचित हैं।
इधर, सरकार की तरफ से जारी बयान के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर इस संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है। बघेल ने राज्य के अफसरों को इस मामले में केंद्रीय अफसरों के साथ समन्वय करने का भी निर्देश दिया है, ताकि प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सके।
वर्ष 2007 से नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग को लेकर कांकेर के बंडापाल, कोलर परगना, रावघाट क्षेत्र सेे करीब 250 किलोमीटर की पदयात्रा कर आदिवासी राजधानी पहुंचे हैं। उनका कहना है कि कांकेर जिला मुख्यालय उनसे करीब 150 किलोमीटर दूर है, जबकि नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी 10 से 20 किलोमीटर है। उन्होंने बताया कि 2007 में कांकेर जिला का विभाजन का नारायणपुर जिला बनाया गया था। इस दौरान अंतागढ़ के 58 गांवों को कांकेर में जिला में शामिल कर दिया गया, जबकि लोग नारायणपुर जिला में रहना चाह रहे थे।
वापसी के लिए बस की व्यवस्था करने के निर्देश
राज्यपाल उइके ने प्रतिनिधिमंडल से आग्रह किया कि वे पैदल चल कर आए हैं, मगर मैंने जिला प्रशासन से बात कर वापस जाने के लिए बस और खाने-पीने का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आदिवासियों से कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करने और टीका लगाने की भी अपील की।
फैसले का विरोध भी
अंतागढ़ क्षेत्र के गांवों को नारायणपुर जिला में शामिल करने का विरोध भी हो रहा है। सर्व समाज समेत व्यापारिक संगठन भी इसके खिलाफ हैं। इस मामले में सर्व समाज ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंप रखा है।
इस तरह हुआ बस्तर जिलों का गठन
1998 में बस्तर जिला का विभाजन कर दो नए जिले कांकेर और दंतेवाड़ा बनाया गया। इसके बाद 2007 में नारायणपुर और बीजापुर जिला का गठन हुआ। 2012 में फिर दो नए जिले सुकमा और कोंडागांव बनाए गए।