Coronavirus Raipur News Update : रमनसिंह के पत्र का CM भूपेश की टीम ने दिया ऐसा जवाब

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रायपुर। Coronavirus Raipur News Update : कोरोना वायरस संक्रमण के बीच छत्तीसगढ़ में लेटर वार शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कई सवाल उठाया तो जवाब में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने भी सवालों की झड़ी लगा दी है। गौरतलब है कि हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कोरोना संकट से जूझ रहे सरकारी तंत्र पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखी थी।

इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग ने इस चिट्ठी के संदर्भ में कई अहम सवाल उठाए हैं। चिट्ठी में कोरोना संकट से निबटने केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों पर न केवल सवाल उठाया गया है, बल्कि संसाधनों की कमी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ राज्य को आर्थिक पैकेज नहीं दिए जाने पर घेरने की कोशिश भी की गई है। उन्होंने पत्र की शैली को सामंती बताया है।

चिट्ठी का यह अंदाज आम छत्तीसगढ़िया को खटकेगा

पत्र में उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश को संबोधन के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम आपका एक पत्र पढ़ने को मिला। पत्र इस अंदाज में आया है मानो छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना से निबटने के लिए अब तक कुछ किया नहीं, अब आपने चंद सुझाव दे दिए और शासन को अब काम शुरू कर देना चाहिए।

अफसोस इस बात का भी है कि पत्र की शैली भी सामंती किस्म का आभास देती है। छत्तीसगढ़ के एक आम किसान परिवार से आने वाले मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का यह अंदाज आम छत्तीसगढ़िया को तो खटकेगा।

प्रधानमंत्री ने जिम्मेदारी देशवासियों पर डाल दी

उन्होंने कहा है कि पत्र एक संकट के समय में आया है। कोरोना के खिलाफ देशभर में राज्य सरकारें अपने संसाधनों से मजबूती से मोर्चा संभाले हुए हैं। छत्तीसगढ़ भी उनमें से एक है। केंद्र सरकार से इस संकट के समय सहायता की अपेक्षा थी, पर वो तो नहीं मिल रही है। मंगलवार को प्रधानमंत्री के संबोधन ने भी निराश ही किया। इस बार भी उन्होंने सारी जिम्मेदारी देशवासियों पर डाल दी और किसी बड़े ऐलान, राज्यों के लिए कोई आर्थिक पैकेज, सबसे ज्यादा संकटग्रस्त गरीब नागरिकों या बेरोजगारों के लिए राहत की कोई घोषणा नहीं किया।

उन्होंने सवाल किया है कि जिस समय छत्तीसगढ़ सरकार और अन्य राज्य सरकारें अपने सीमित संसाधनों से कोरोना का मुकाबला कर रहीं हैं उस समय केंद्र सरकार ने क्या किया? मुख्यमंत्री राहत कोष या कोरोना वायरस के लिए राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को मौजूदा नियमों का हवाला देते हुए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल नहीं माना। ऐसा क्या सिर्फ इसलिए कि लोग पीएम केयर्स में दान देते रहें और राज्य सरकारें दानदाताओं को तरसें?

दानदाताओं का भी विकेंद्रीकरण

रूचिर गर्ग ने सवाल उठाया है कि संकट के इस समय में बड़े उद्योगपति, व्यावसायिक घराने राज्य सरकारों की बड़ी मदद कर सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सभी को निर्देश है कि वे सिर्फ पीएम केयर्स में ही दान दें और तो और राज्य की जनता की ओर से चुने गए भारतीय जनता पार्टी के सांसदों तक ने अपने सांसद निधि का धन राज्य सरकार के सहायता कोष में देने से परहेज किया।

आप भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बतौर नागरिक आप से आग्रह है कि आप केंद्र सरकार को इस बात के लिए राजी करें कि मुख्यमंत्री सहायता कोष या राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल किया जाए।

इससे बड़े उद्योगपति या व्यावसायिक घराने राज्यों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाएंगे। आज जीएसटी की क्षतिपूर्ति, केंद्र के नियमित आबंटन, योजनाओं में केंद्र का हिस्सा जैसी मदद तो मांगने की नौबत ही नहीं आनी चाहिए थी, ऊपर से दानदाता भी राज्यों से दूर रहें तो यह तो अन्याय ही है। राज्य बचेंगे तभी तो देश बचेगा। अपनी चिट्ठी में आपने राज्य सरकार को बहुत से कदम उठाने की सलाह दी है।

लाॅक डाउन से पहले ही छत्तीसगढ़ में बरती एहतियात

छत्तीसगढ़ ने तो केंद्र द्वारा घोषित लॉक डाउन से पहले ही एहतियात बरतना शुरू कर दिया था और अपने ही संसाधनों से इस आपदा के ठोस प्रबंधन के उपाय करने शुरू कर दिए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और अधिकारियों की प्रतिबद्ध टीम के साथ कोरोना प्रबंधन की खुद ही निगरानी करते हैं और उसके नतीजे भी सामने हैं।

अंत में उन्होंने लिखा है कि डा रमनसिंह ने 15 वर्षों तक राज्य का नेतृत्व किया है। प्रदेश के संसाधनों को ठीक तरह से जानते हैं । अपेक्षा है कि इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार से कहेंगे कि वह छत्तीसगढ़ की जनता की भलाई के लिए कुछ सहायता उपलब्ध करवाएं।