Coronavirus in Chhattisgarh : दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे हथियार डाल रहा कोरोना

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Coronavirus in Chhattisgarh केरल के 93 वर्षीय थॉमस अब्राहम और 88 वर्षीय मरियम्मा के बाद अब रायपुर के 68 वर्षीय मनबोधन साहू ने कोरोना को मात देकर इस बात की उम्मीद जगा दी है कि कोरोना का सामना 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग भी भलीभांति कर सकते हैं।

आवश्यकता है तो केवल दृढ़ इच्छाशक्ति की। रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी मनबोधन साहू राज्य में कोरोना पॉजिटिव के उन नौ मरीजों में एक थे, जिनको लेकर एम्स रायपुर के चिकित्सकों में बेचैनी ज्यादा थी। लेकिन डॉक्टर तब हैरान रह गए जब मनबोधन का हौसला, इच्छाशक्ति और जीने की ललक ने कमाल कर दिखाया। जो दवाएं सभी मरीजों को दी जा रही थीं, वही उनको भी दी गईं। लेकिन इन दवाओं ने उनपर तेजी से असर किया।

डॉक्टर कहते हैं कि दवाएं, एहतियात और लोगों की दुवाएं अलग, लेकिन यह केस उन्हें एक मेडिकल सिद्धांत का आंखों देखा प्रैक्टिकल भी दे गया। सिद्ध हो गया कि हौसला और सकारात्मक ऊर्जा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ा देते हैं।

शायद यही कारण है कि बुजुर्ग से पहले भर्ती रायपुर के ही तीन युवा अब भी कोरोना से उबरने को संघर्ष कर रहे हैं और ये बुजुर्ग स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं। समान्य परिवार के बुजुर्ग मनबोधन राम साहू बताते हैं कि जब शहर में कोरोना का पहला मरीज मिला तब स्वास्थ्य अधिकारियों ने मोहल्ले का सर्वे किया। उनका भी सैंपल लिया गया।

मनबोधन ने बताया कि 25 मार्च को डॉक्टर आए और एम्स में भर्ती करा दिया। तब तक मुझे कुछ समझ में नहीं आया। जब पता चला कि मुझे किसी गंभीर वायरस ने बीमार किया है तो मेरे मुंह से यही निकला कि ये कहां से आ गया। वे बताते हैं कि डॉक्टर जिस सक्रियता से मेरी देखभाल कर रहे थे, उससे लग रहा था कि जरूर कोई बड़ी बीमारी है। लेकिन मैं घबराया नहीं।दिमाग में हमेशा ये बना रहा कि जरा सा वायरस इतने बड़े शरीर का क्या बिगाड़ेगा। मुझे पहले दिन से ही पता था कि बस दो-चार दिन की बात है, मैं ठीक हो जाऊंगा। वायरस को लेकर मेरे मन में कभी डर का भाव नहीं आया। हमेशा की तरह हंसी मजाक करता रहा। डॉक्टरों से भी चुहलबाजी की।

महज छह दिन बाद ही 31 मार्च को मुझे जानकारी मिली की मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं और घर जा सकता हूं। एम्स के डॉ. अजय बेहरा कहते हैं कि बुजुर्ग को देखकर एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि कोरोना उन पर हावी हो पाएगा। उनकी जीने की इच्छाशक्ति इतनी प्रबल थी कि कोरोना का हारना तय था। वे बताते हैं कि अमूमन लोग डॉक्टरों को आसपास देखकर आशंकित हो जाते हैं, लेकिन बुजुर्ग के मामले में ऐसा कभी नहीं दिखा। यही स्थिति 25 साल के इमरान की रही। दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते वह भी अब स्वस्थ होकर घर लौट गया है।

सकारात्मकता आवश्यक

ऐसे व्यक्ति जो खुश रहते हैं, सकारात्मक सोच रखते हैं और अनुशासित जीवन व्यतीत करते हैं, उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति होती है। जीवन में पॉजिटिविटी बनी रहती है तो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। जब इम्यून सिस्टम मजबूत होता है तो किसी भी उम्र में संक्रमण या अन्य रोगों से लड़ने के लिए हमारा शरीर तैयार रहता है। देखा गया है कि ऐसे लोग जो अंदरूनी रूप से खुश रहते हैं और सकारात्मक सोच रखते हैं ,बीमारी उनसे दूर रहती है। कोरोना संक्रमण इस सिद्धांत का अपवाद नहीं है।

– प्रो. पीके दलाल, अध्यक्ष, मनोरोग विभाग, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ

इस मंत्र का करें जप

लॉक डाउन में शारीरिक सक्रियता घट चुकी है इसलिए अब प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मानसिक सक्रियता को जगाना बेहद आवश्यक है। आध्यात्मिक बातें और साहित्य पढ़ें और यह मंत्र कि आज जो होगा अच्छा होगा, आज जो होना है बहुत अच्छा होना है, को अगर पांच बार पढ़े, तो मन में सकारात्मक दीप्ति पैदा कर पाएंगे। इससे हमारे मष्तिष्क में न्यूरोकेमिकल और न्यूरो हार्मोन्स की वृद्धि होती है जो कि प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ती है, और यह हमें हर प्रकार के इंफेक्शन से दूर रखते हैं।

-प्रो. संजय गुप्ता, विख्यात मनोचिकित्सक, बीएचयू मनोविज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख

आस्था का मनोविज्ञान

आत्मा, परमात्मा का ही स्वरूप होती है, इसलिए वह असीम शक्तियों से युक्त ईश्र्वर का अंश है, इच्छाशक्ति- आत्मबल का पुंज है। जो कोई व्यक्ति स्वयं के सत्य के परिचित हो अपने इसे जागृत कर लेता है, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण कर लेता है, वह असाधारण कार्य करने में समर्थ हो जाता है। आत्मा में निहित ईश्र्वर की समस्त क्षमताएं-शक्तियां उसकी सहयोगी हो जाती हैं। -बाबा रामदेव, योगगुरु

ईश्र्वर की समस्त शक्तियां आत्मा में निहित हैं, आत्मानुशासन ही आत्मबल है, इससे आप सर्वशक्तिमान बन सकते हैं। अतुल्य तेज, असीम सामर्थ्य और असाधरण शक्तियों को उजागर करने की क्षमता रखने वाले बन जाते हैं। यह चमत्कार आत्म विश्र्वास और आत्मबल का ही परिणाम है। -स्वामी अवधेशानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्र्वर, श्रीपंचदशनाम्‌ जूना अखाड़ा, हरिद्वार