हिन्दू नववर्ष पर घर-घर में फहराएं ध्वज और प्रज्ज्वलित करें द्वार पर दीप

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रायपुर।: अंग्रेजी नववर्ष पर युवा खूब उत्साह दिखाते हैं, लेकिन हिन्दू नववर्ष कब आकर गुजर जाता है, पता ही नहीं चलता। युवाओं को चाहिए कि वे अपनी सनातन संस्कृति के अनुरूप हिन्दू नए साल को भी उत्साह से मनाएं। इस बार भी कोरोना का प्रकोप है, इसलिए हर हिन्दू अपने घर के मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित करें और छत पर भगवा ध्वज फहराएं। अपने इष्टदेवों की पूजा करके आरती करें।

यह अपील धर्म पीठ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य झम्मन प्रसाद शास्त्री ने की है। श्री शास्त्री ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा पर हिन्दू संवत्सर की शुरुआत होती है। इसी दिन पर हमें नया साल मनाना चाहिए। मंगलवार 13 अप्रैल से नव संवत्सर का शुभारंभ हो रहा है। भारतीय नव वर्ष हम समस्त सनातन धर्मावलंबियों के लिए गर्व का विषय है। आज के दिन से ही भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी।

भारत के महान क्रांतिकारी राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का शुभारंभ किया। इस साल 2078 वां संवत्सर प्रारंभ हो रहा है। समग्र हिंदू समाज इस नववर्ष का उत्साह पूर्वक स्वागत करते हुए मां भगवती महामाया की आराधना में तल्लीन होकर सुख शांति समृद्धि एवं परस्पर प्रेम की स्थापना करने में हम सफल हो सकते हैं। इसी भावना के साथ प्रत्येक घरों के सामने दीप जलाकर मंगल कलश रख कर ,शंख, घंटी बजाते हुए सनातन वैदिक परंपरा से तोरण ध्वजा फहराएं।

स्वास्तिक चिन्ह युक्त ध्वजा फहराएं

सनातन धर्म का प्रतीक चिन्ह स्वस्तिक है इसलिए स्वस्तिक चिन्ह युक्त केसरिया ध्वज फहराएं। नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित करें, जिससे बच्चों, युवा पीढ़ी को अपने आदर्श भारतीय संस्कृति, परंपराओं के प्रति आस्था बढ़े। नए वर्ष में नया पंचांग का पूजन कर वर्षफल का श्रवण करें।

तिथि अनुसार जन्मदिन मनाएं

अपने बच्चों का जन्मदिन और विवाह आदि की वर्षगांठ भी हिंदू महीना के अनुसार मनाने की परंपरा चलाएं क्योंकि तिथि के अनुसार ही चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का योग बनता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि समुद्र में जो ज्वार भाटा का योग बनता है, वह तिथि के अनुसार ही बनता है। भगवान की जयंती पर्व तिथि के अनुसार ही हम मनाते हैं, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी पर्व आदि। प्रत्येक हिन्दू अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि, श्राद्ध पंचांग की तिथि के अनुसार ही मनाते हैं। तिथि में ही मनाने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।

पाश्चात्य सभ्यता को पनपने से रोकें

आचार्य झम्मन प्रसाद शास्त्री का कहना है कि भारत में पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण से जो विकृति आई है, उसे रोकने के लिए सनातन संस्कृति का प्रचार और उसे अपनाने की आवश्यकता है।