रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी एनपीआर का विरोध कर दिया है। इसके पहले मध्यप्रदेश सरकार ने भी इसका विरोध किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अमेरिका दौरे के बीच छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने यह घोषणा की। साहू ने कहा कि प्रदेश में नेशनल पापुलेशन रजिस्टर को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सीएए-एनआरसी के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीआर का विरोध करके केंद्र की मोदी सरकार को सीधी चुनौती दी है। सीएए के विरोध में राज्य में कैबिनेट में प्रस्ताव पास हो गया है। विधानसभा के बजट सत्र में सीएए का प्रस्ताव पास करने की तैयारी भी है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि राज्य में एनपीआर नहीं होगा।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि गृहमंत्री का बयान बेहद अजीब है। केंद्र की योजना किसी राज्य के लिए नहीं बनती, ये संपूर्ण देश के लिए होती है। पापुलेशन रजिस्टर के लिए सांख्यिकी एकत्रित करने की प्रक्रिया हर दस साल में होती है।
इसके आधार पर आने वाले दिनों की जनकल्याणकारी योजना बनती है। डॉ रमन ने कहा कि गृहमंत्री साहू अजीब तर्क दे रहे हैं। कारण बताएं कि आखिर क्यों एनपीआर राज्य में लागू नहीं होगा? केंद्र सरकार हर दस साल पर नेशनल पापुलेशन रजिस्टर तैयार करती है। इसमें व्यापक जनहित जुड़ा होता है। ऐसे में इसका विरोध किया जाना उचित नहीं है।
इधर, वामपंथी नेता व पूर्व सांसद वृंदा करात ने सीएए को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि मोदी सरकार हिंदू और मुस्लिम के बीच की लड़ाई करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह धर्म का नहीं संविधान का सवाल है। करात ने कहा कि मोदी सरकार को हराने का एक ही रास्ता है,गैर भाजपा शासित राज्य एनपीआर लागू न करें। करात ने छत्तीसगढ़ सरकार से केरल सरकार की तर्ज पर राज्य में एनपीआर को लागू नहीं करने का प्रस्ताव पारित करने की मांग की।
केंद्र के खिलाफ वामदलों के देशव्यापी आंदोलन के सिलसिले में छत्तीसगढ़ पहुंची करात ने बुधवार को यहां रायपुर में पत्रकारों से चर्चा की। सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में धर्म निरपेक्ष पर आधारित नागरिकता है, उसे मोदी सरकार तोड़ना चाहती है।
सरकार कहती है एक इंच नहीं हटेंगे, चाहे कोई कुछ भी कहे। उन्होंने कहा कि इस समय देश की आर्थिक व्यवस्था गंभीर संकट में गुजर रहे है। सरकार का जो रवैया है कि आल इस वेल उस वजह से संकट और गहरा रहा है। आने वाले दिनों में संकट दूर नहीं हो पाएगा। बजट के माध्यम से संकट से निकलने का रास्ता होना चाहिए था, लेकिन इस बजट ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार दृष्टिहीन है।
राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मैंने देखा कि बस्तर के किसानों ने रास्ता रोका, वे नाराज थे क्योंकि धान खरीदी पूरी तरह से नहीं की गई। वहीं मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी और शाह की जो योजना है एक तरफ से आर्थिक हमला हो रहा है और दूसरी तरफ संवैधानिक हमला हो रहा है।