रायपुर. अब पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के पीएसएम विभाग की उस रिपोर्ट को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, या उस समय जिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे, वे सब चुप्पी साधे हुए हैं। रिपोर्ट में आने वाले 8 महीने (दिसंबर 2020 तक) में 50 हजार मरीज का अनुमान लगाया था। अगर, आज से 300 मरीज रोजाना रिपोर्ट होते हैं तो यह आंकड़ा दिसंबर तक मुमकिन है। मगर, उम्मीद यही की जानी चाहिए कि कोरोना नियंत्रित हो जाए। सबकी मेहनत सफल हो जाए।
10,000 टेस्ट होने पर क्या होगा?
सोचिए, अभी 6 हजार सैंपल की जांच में ये 350 से अधिक मरीज मिले, जब 10,000 टेस्ट लगेंगे तो आंकड़ा कहीं अधिक होने का अनुमान है। हालांकि दूसरी तरफ यह भी सच्चाई है कि सरकार ज्यादा से ज्यादा टेस्ट इसलिए भी करना चाहती है कि संक्रमितों की पहचान हो सके। कोई संक्रमित समुदाय में छूट न जाए। इसलिए तो टेस्टिंग क्षमता बढ़ाई जा रही है। सिम्स बिलासपुर में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए एम्स की टीम ने निरीक्षण शुरू कर दिया है। शुक्रवार को प्रोफेंसी टेस्ट किया गया। संभव है कि तीन दिन में यहां आरटी-पीसीआर टेस्ट शुरू हो जाए। अंबिकापुर में मशीन का इंस्टॉलेशन नहीं हो पा रहा है। 13 जिलों ट्रूनेट मशीन लग चुकी है, और 13 जिलों में मशीन इंस्टॉल जल्द होगी।
आखिर क्यों हम सुधरने तैयार नहीं-
– हम आज भी बिना मॉस्क के घर से बाहर निकल रहे हैं। – बिना किसी काम के बेवजह घरों से निकल रहे हैं। -फिजिकल डिस्टेसिंग (दूरी) का पालन नहीं कर रहे हैं। – शासन-प्रशासन की अपील को अनसुना कर रहे हैं। – हमें खुद की छोडि़ए अपनों की फिक्र तक नहीं। – हम आज भी इस गलतफहमी में जी रहे हैं कि कोरोना हमारा क्या बिगाड़ सकेगा।
डॉ. निर्मल वर्मा, विभागाध्यक्ष, पीएसएम, पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का कहना है कि पूर्व में विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में 8 माह में 50 हजार मरीज मिलने का अनुमान था। आज के नतीजे देखकर उस गणना को झुठला नहीं सकते। नया अध्ययन करवाएंगे। उसमें स्थिति और भी स्पष्ट होगी। डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जब तक लापरवाही जिंदा है, समझिए कोरोना भी जिंदा रहेगा। विभाग, चिकित्सा विशेषज्ञ, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ निवेदन कर रहे हैं कि नियमों का पालन करें, मगर लोग मानने तैयार नहीं।