Chhattisgarh : साल के भीतर दो कुलपतियों ने दिया इस्तीफा, सरकार ने एक को हटाया

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सालभर के भीतर दो कुलपतियों को इस्तीफा देना पड़ा । वहीं अब शांति व्यवस्था का हवाला देकर संत गहिरा गुस्र् विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलपति व अर्थशास्त्री डॉ. रोहिणी प्रसाद को हटा दिया गया है। छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 13, 14, 23 और 25 तक , 40, 47 , 54 तक था 68 के प्रावधानों को लागू किया गया है। इसके पहले बस्तर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और रजिस्ट्रार के झगड़े और कुलपति एनडीआर चंद्रा को भ्रष्टाचार के कई मामलों धारा 52 लगाकर हटाया गया था।

अंदरूनी खबर जो निकलकर आ रही है उसके अनुसार शिक्षा में विचारधारा की लड़ाई एक साल से छिड़ी हुई है। प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार में विश्वविद्यालयों में संघ की विचारधारा को प्रश्रय देने का आरोप कांग्रेस लगाती रही। सरकार बनाने के बाद अब कुलपतियों पर इस्तीफा देने का भारी दबाव रहा है।

इन कुलपतियों ने छोड़ी थी सीट

इसके पहले राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में दुर्ग विवि के कुलपति डॉ. शैलेंद्र सराफ का इस्तीफा स्वीकार किया गया था। डॉ. शैलेंद्र सराफ की नियुक्ति पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने की थी। इसके बाद कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के कुलपति प्रोफेसर मानसिंह परमार ने भी इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि दोनों ही कुलपतियों ने राज्यपाल के नाम दिए गए इस्तीफे में व्यक्तिगत कारणों से पद छोड़ने की बात लिखी थी। अंदरूनी सूत्रों की मानें तो इन पर पद छोड़ने का भारी दबाव बनाया गया था। अब सरगुजा विवि के कुलपति डॉ. रोहिणी प्रसाद को हटाने के बाद पिछली सरकार के समय कुलपति बने अन्य कुलपतियों का सिंहासन भी डगमंगाने लगा है। सरकार के पास इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति डॉ.एसके पाटिल की भी शिकायत पहुंची थीं।

मुक्त विवि के कुलपति भी घिरे

पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बीजी सिंह की कुर्सी पर भी खतरा शुरू से मंडरा रहा है। उन पर पूर्व शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी के कथित नकल प्रकरण को दबाने का आरोप है। केदार की पत्नी की जगह परीक्षा में कोई और युवती बैठी थी। तब विपक्ष में रही कांग्रेस ने खूब हल्ला मचाया था लेकिन यह मामला दबा दिया गया था। बीजी सिंह का कार्यकाल इसी महीने 30 जनवरी को खत्म हो रहा है।