भोपाल। Coronavirus in Madhya Pradesh : कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लेने का तरीका सही नहीं होने से भोपाल के अभी तक 200 से ज्यादा सैंपल खारिज किए जा चुके हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा तय गाइडलाइन में सैंपल नहीं लेने और भेजने से लैब में इन्हें खारिज किया जा रहा है।
इसके बाद कुछ संदिग्धों के सैंपल तो दोबारा हो जाते हैं, पर ऐसे लोगों के सैंपल फिर नहीं लिए जाते जो संदिग्ध की श्रेणी में नहीं आते और उनका सैंपल लेने की जरूरत नहीं है। छह अप्रैल को ही 58 सैंपल खारिज किए गए हैं। भोपाल में एम्स, स्टेट वायरोलॉजी लैब हमीदिया और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में सैंपलों की जांच की जा रही है। सैंपल लेने के लिए आईसीएमआर ने गाइडलाइन बनाई है।
नौ अप्रैल को इसमें बदलाव भी किया है। इसके तहत सैंपल किसका लिया जाना है, स्वाब कैसे लेना है, संदिग्ध की पूरी जानकारी सैंपल के साथ भेजे जाने वाले फारमैट में है या नहीं, कोल्ड चेन में सैंपल लाया गया है या नहीं को लेकर मापदंड तय किए गए हैं। बड़ी लापरवाही यह हो रही है कि मरीज की पूरी हिस्ट्री फारमैट में डॉक्टर नहीं भर रहे हैं। इस तरह अलग-अलग कारणों से सैंपल खारिज किए जा रहे हैं।
आईसीएमआर ने इनके सैंपल लेने को कहा – विदेश से 14 दिन के भीतर आए ऐसे लोग, जिनमें कोई लक्षण है। – संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोग, जिनमें कोई लक्षण हैं। – स्वास्थ्यकर्मी, जिनमें किसी तरह के लक्षण हैं। – संक्रमित मरीज के नजदीकी संपर्क में आए लोगों की कोई लक्षण नहीं होने पर भी जांच की जाएगी। – सांस की गंभीर तकलीफ वाले ऐसे मरीज जिन्हें बुखार, कफ और सांस में तकलीफ है। – हॉटस्पॉट क्षेत्र के ऐसे मरीज जिन्हें बुखार, खांसी, गले में तकलीफ व सर्दी हो।
इनका कहना है
तय गाइडलाइन के अनुसार यदि सैंपल नहीं भेजे जाते तो उन्हें खारिज किया जाता है। हालांकि, एम्स में तो बहुत कम सैंपल खारिज किए जा रहे हैं। प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह, डायरेक्टर, एम्स भोपाल