भोपाल। बेसहारा गायों की देखरेख के लिए एक हजार से ज्यादा गोशाला खोलने का फैसला करने के बाद कमलनाथ सरकार अब राशि का इंतजाम करने के लिए उपकर लगाएगी। पशुपालन विभाग के उपकर लगाने संबंधी प्रस्ताव पर वाणिज्यिक कर विभाग ने गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा है कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर गो सेवा के लिए राशि का इंतजाम किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गोशाला परियोजना की समीक्षा की थी, तब यह प्रस्ताव सामने आया था। पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने गायों की देखरेख के लिए उपकर लगाने की बात कही थी। उन्होंने बताया था कि दूसरे राज्यों में भी इस तरह काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इसका परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। इसके मद्देनजर विभाग ने प्रस्ताव बनाकर वित्त और वाणिज्यिक कर विभाग को भिजवाया है।
इसमें उत्तरप्रदेश में उपक्रमों की आय का दो प्रतिशत गो सेवा के लिए लेने, राजस्थान में गैर न्यायिक स्टाम्प की खरीदी से होने वाली आय का दस प्रतिशत, पंजाब और हरियाणा में शादी हॉल के संचालन, कार, स्कूटर की ब्रिकी, अंग्रेजी और देसी शराब की बिक्री से होने वाली आय का कुछ हिस्सा गोवंश की देखरेख पर खर्च किया जाता है।
बताया जा रहा है कि इसी तर्ज पर प्रदेश में भी अतिरिक्त वित्तीय संसाधन का इंतजाम गोवंश के लिए किया जा सकता है। अपर मुख्य सचिव वित्त अनुराग जैन का कहना है कि उपकर लगाने का विषय चर्चा में आया था। प्रस्ताव क्या भेजा गया है, यह मैंने अभी नहीं देखा है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार शराब से होने वाली आय का एक हिस्सा इस काम के लिए दे सकती है। पिछले दिनों ही अतिवर्षा और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर पांच प्रतिशत वेट शराब पर बढ़ाया गया है। इसके अलावा एक विचार शराब पर एक रुपए अतिरिक्त तौर पर लगाने पर भी विचार किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि सरकार इस कदम से एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में है। दरअसल, अंग्रेजी शराब दुकानों के साथ अहाता खोलने की इजाजत हाल ही में कुछ अतिरिक्त शुल्क के साथ दी गई है। इसको लेकर भाजपा सरकार को लगातार घेर रही है। हालांकि, सरकार का दावा है कि अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के साथ राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से यह कदम उठाए गए हैं।