नई दिल्ली : भारतीय डायरेक्टर अमजद ख़ान की फ़िल्म ‘गुल मकई’ को लेकर फ़तावा जारी हुआ है। पाकिस्तानी एक्टिविस्ट मलाला यूसूफ़जई के ऊपर आधारित इस फ़िल्म पर धार्मित ग्रंथ के अपमान का आरोप लगा है। नोएडा स्थिच एक मुस्लिम धर्म गुरु ने अमपान को लेकर फ़तावा जारी किए है। वहीं, फ़िल्म के डायरेक्टर ख़ान का कहना है कि फ़िल्म की शुरुआत से ही उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। अब इसके बाद धर्मगुरु को फ़िल्म के पोस्टर को लेकर इश्यू है।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए डायरेक्टर अमजद ख़ान ने कहा, ‘नोएडा के एक व्यक्ति द्वारा अब फ़तावा लाया गया है। पोस्टर में बॉलस्ट के बगल में मलाला खड़ी हैं और एक किताब पकड़ रखा है। उन्हें लगता है कि यह एक धार्मिकग्रंथ है। उन्हें लगाता है कि हमने पवित्र किताब को लेकर सम्मान नहीं दिखाया है। मुझे, वह क़ाफ़िर बुला रहे हैं।’
अमजद ख़ान ने आगे कहा, ‘मैं बात करने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि समझा सकूं कि यह एक अग्रेंजी की किताब है।’ पुलिस केस को लेकर ख़ान ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि वह चीज़ों को समझने में सक्षम नहीं हैं। मैं शांति के लिए एक फ़िल्म बना रहा हूं। अगर मैं पुलिस केस फाइल करता हूं, तो वह उसे अंदर तक ले जाएगी। फिर आखिर में फ़िल्म ही क्यों बना रहा हूं?’
आपको बता दें कि ‘गुल मकई’ मलाला यूसूफ़ज़ई की बायोपिक है। इसे भारत में बनाया गया है। मलाला एक पाकिस्तानी लड़की है, जो शिक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख्व़ा इलाके में उन्होंने लड़कियों के एजुकेशन के लिए मुहिम छेड़ी। कुछ साल पहले मलाला पर तालिबान द्वारा जानलेवा हमाला भी हुआ था। मलाला को साल 2014 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें और भारत के कैलाश सत्यार्थी को एक साथ शांति का नोबल दिया गया था।