भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हर पल अखरते हैं। वजह सभी जानते हैं कि उन्होंने कमल नाथ की 15 माह पुरानी सरकार गिराकर शिवराज सिंह चौहान की चौथी बार ताजपोशी करा दी। शिवराज सरकार के नैनो मंत्रिमंडल में 40 फीसद सिंधिया समर्थकों को मौका मिला तो भी कमल नाथ तंज कसने से नहीं चूके। कमल नाथ ने कहा कि मंत्रिमंडल गठन में ‘मजबूर महाराज’ और ‘शक्तिविहीन शिवराज’ की झलक दिखाई पड़ रही है। फिर सिंधिया समर्थकों ने पलटवार शुरू कर दिया। इसके साथ ही सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों की सियासत ताजा हो गई।
सिंधिया तो पहले भी मजबूत थे और आज भी हैं
सिंधिया समर्थक यह याद दिलाने लगे कि जब-जब कांग्रेस का अहंकार बढ़ा तो सिंधिया परिवार ने ही सबक सिखाया। ज्योतिरादित्य के अलावा माधवराव सिंधिया और राजमाता विजयाराजे का उदाहरण मौजूद है। कमल नाथ के तंज पर सिंधिया समर्थक प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, ‘उनकी पीड़ा स्वाभाविक है क्योंकि उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी है। सिंधिया तो पहले भी मजबूत थे और आज भी मजबूत हैं।’
ज्योतिरादित्य ने अहंकार में डूबी कांग्रेस को ताकत का अहसास करा दिया
ध्यान रहे कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की अगुवाई ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की। कांग्रेस को बहुमत मिला तो उन्हें मुख्यमंत्री न बनाकर कमल नाथ की ताजपोशी की गई। फिर भी वह पार्टी से बंधे रहे। ज्योतिरादित्य के साथ लगातार छल हुआ तो उन्होंने अहंकार में डूबी कांग्रेस को अपनी ताकत का अहसास करा दिया।
माधव राव ने नरसिंह राव के खिलाफ खोला था मोर्चा
सिंधिया परिवार का हर सदस्य कांग्रेसी रहा है। कांग्रेस की सरकारों में केंद्र में मंत्री रहे ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया की 1995-96 में तब के प्रधानमंत्री नरसिंह राव से अनबन हो गई। माधव राव ने मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस से अलग होकर मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी बना ली। सिंधिया तो ग्वालियर से लोकसभा चुनाव जीत गए, लेकिन, अपने गढ़ में भी कांग्रेस कई सीटों पर हार गई।
डीपी मिश्र की टिप्पणी से आहत राजमाता ने गिरा दी थी सरकार
लंबे समय तक कांग्रेस में रहीं ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र (डीपी मिश्र) ने कई मौकों पर अपमानित किया। यह बात राजमाता को चुभ गई और उन्होंने 1967 में मिश्र की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई। पचमढ़ी में युवा कांग्रेस का अधिवेशन था, जिसमें राजमाता की मौजूदगी में द्वारिका प्रसाद मिश्र ने राजे-रजवाड़ों पर खूब प्रहार किए। यहां तक कह दिया कि लोकतंत्र में सबको साथ लेकर चलना पड़ता है, लेकिन राजे-रजवाड़े कभी कांग्रेस के नहीं हो सकते। मिश्र के सीधे निशाने पर राजमाता ही थीं। विजयाराजे ने स्पष्टीकरण मांगा तो मिश्र ने व्यंग्य किया, ‘ये राजमाता नहीं, नाराज माता हैं।’ राजमाता ने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘मैंने तभी तय कर लिया था कि मिश्र की टिप्पणी को हवा में नहीं जाने दूंगी।’ अंतत: उन्होंने मिश्र की सरकार गिरवा दी।