मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी सत्ता के संघर्ष में शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्ठ नेता संजय राउत (Sanjay Raut) के ताजा बयान ने एक बार फिर सियासी माहौल को गरमा दिया है. गुरुवार को संजय राउत ने ट्वीट (Tweet) कर कहा कि अब हारना और डरना मना है. इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि हार हो जाती है जब मान लिया जाता है. जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है.
इससे पहले अस्पताल से डिस्चॉर्ज होकर बाहर आते समय संजय राउत (Chief Minister) ने एक बयान में कहा था कि महाराष्ट्र में सीएम तो हर हाल में शिवसेना का ही बनेगा चाहे कुछ भी हो जाए. बता दें कि राउत पिछले दो दिन से मुंबई के लीलावती अस्पताल (Leelawati Hospital) में भर्ती थे. उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद सोमवार शाम को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
संजय राउत की हालत में सुधार होने के बाद बुधवार शाम उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. बाहर आते ही उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की बात दोहराते हुए कहा कि अब कुछ भी हो जाए महाराष्ट्र में सीएम तो शिवसेना का ही बनेगा. उन्होंने कहा कि जो भी कुछ हुआ वो सही नहीं था, लेकिन अब आगे की रणनीति पर बात की जाएगी.
उद्धव ठाकरे-अहमद पटेल की मीटिंग की बात नकारी
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के बीच मंगलवार को मुंबई में हुई बैठक की बात को भी संजय राउत ने नकार दिया. उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि मीडिया में यह खबरें हैं कि शिवसेना प्रमुख और अहमद पटेल के बीच मीटिंग हुई. मैं उद्धव जी की तरफ से यह बात साफ कर देना चाहता हूं कि ऐसी कोई मुलाकात नहीं हुई है. हमारी बातचीत कांग्रेस और एनसीपी के साथ चल रही है.
शिवसेना अध्यक्ष उद्धवजी ठाकरे के साथ अहमद पटेल जी की मीटिंग हुई और हमे कुछ वादे किये गये ऐसी बाते मिडीया के जरिये फैलाई जा रही है , मैं उद्धवजी की तरफ से ये बात साफ कर देना चाहता हूं की ऐसी कोई मुलाकात नही हुई ,हमारी बातचीत कांग्रेस और एनसीपी के साथ चल रही है.
चुनाव परिणाम के 21 दिन बाद भी महाराष्ट्र में असमंजस की स्थिति
बता दें कि मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना हाल ही में एनडीए गठबंधन से अलग हुई है. 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आने के बाद अभी तक महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है. शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजों में दोनों में से किसी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ. हालांकि, बीजेपी-शिवसेना महायुति (गठबंधन) को 161 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला है. लेकिन सरकार गठन से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के सामने 50-50 का फॉर्मूला रख दिया. इसके तहत दोनों पार्टी के पास ढाई-ढाई साल तक के लिए मुख्यमंत्री पद रहता, लेकिन बीजेपी ने शिवसेना के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.