भोपाल।प्रदेश में सत्ता की चौथी पारी खेल रहे शिवराज सिंह चौहान इस बार बदले-बदले से हैं। कामकाज को लेकर सख्ती और जरा सी चूक पर सीधी कार्रवाई, यह उनकी शैली बन गई है। अभी तक एक दर्जन अफसर उनके निशाने पर आ चुके हैं। सोर्स-सिफारिश को दरकिनार कर सीधे फैसला, वो भी ऑन स्पॉट हो रहे हैं। स्वास्थ्य आयुक्त प्रतीक हजेला को हटाया जाना, इसका सबसे सटीक उदाहरण है।
वहीं, राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता हो या फिर इंदौर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव, एक झटके में चलता कर दिया गया। नगर निगम आयुक्त रीवा सभाजीत यादव को उनके किए की सजा देने में जरा भी देर नहीं लगाई गई। जबकि, चौहान को लेकर पिछली सरकार में विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी है।
हालांकि, यह मानने वालों की भी कमी नहीं है कि यह दौर अस्थायी है क्योंकि जब बात सत्ता संतुलन बनाने की आएगी तो कुछ अनचाहे समझौते भी करने होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि संतुलन और सामंजस्य बनाकर चलने वाले नेताओं में होती है।
यही वजह है कि ब्यूरोक्रेसी की पहली पसंद शिवराज ही रहे हैं। पिछले तीन कार्यकाल में अधिकारी, उनसे इतने घुले-मिले थे कि बेझिझक होकर आगे होकर अपनी बात रख दिया करते थे लेकिन इस बार उनकी कार्यप्रणाली देखकर वेट एंड वॉच की मुद्रा में आ गए हैं।
दरअसल, उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद जिस तरह मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी को हटाकर घर बैठा दिया, उससे यह संदेश गया कि उन्होंने काम करने का तरीका बदल दिया है। उन्हें अब तक कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है, जबकि इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव बनने के बाद राजस्व मंडल, ग्वालियर के अध्यक्ष का पद खाली है।
कमल नाथ सरकार में भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेने वाली राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता को हटाकर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया। करीब 15 अधिकारियों की जिम्मेदारी बदली जा चुकी है पर निवेदिता को कोई दायित्व नहीं दिया गया। यही स्थिति रीवा नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव के साथ बनी।
उन्हें भी पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल से पंगा लेने की कीमत चुकानी पड़ी। इंदौर में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू कर्फ्यू में भी लोग जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए। इस घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया तो मुख्यमंत्री ने जाटव और डीआईजी रुचि वर्धन मिश्र को हटा दिया।
ग्वालियर नगर निगम आयुक्त संदीप कुमार माकिन के तबादले को निरस्त करना हो या फिर कमल नाथ सरकार में ईओडब्ल्यू में रहकर ई-टेंडरिंग, ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जमीन आदि के मामलों में जांच खोलने वाले प्रभारी महानिदेशक सुशोभन बैनर्जी को सागर और पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार मिश्रा को हटाकर मंडला भेजने, मुख्यमंत्री के इरादे साफ जाहिर करता है। अब डायरी रखते हैं साथ मुख्यमंत्री अब अपने साथ एक छोटी डायरी रखते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इसमें महत्वपूर्ण जानकारियां रहती हैं। इसके आधार पर वे न सिर्फ फीडबैक लेते हैं बल्कि अधिकारियों के जवाबों को क्रॉसचेक भी करते हैं। इसी डायरी में दर्ज कोरोना के फैलाव को रोकने की तैयारियों से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य थे, जो अधिकारियों ने दो दिन पहले बताए थे।
जब अगले दिन समीक्षा हुई और अधिकारियों ने कुछ और जानकारी दी तो उनकी त्यौरियां चढ़ गई और तत्काल स्वास्थ्य आयुक्त प्रतीक हजेला की छुट्टी हो गई। कोरोना संकट के बाद होगा बड़ा बदलाव सूत्रों का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव टल गया है।
स्थिति सामान्य होने पर संभागायुक्त, कलेक्टर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक से लेकर मंत्रालय स्तर पर नए सिरे से प्रशासनिक जमावट होगी। भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर के कलेक्टर बदले जाने हैं। भोपाल के लिए संचालक खाद्य, नागरिक आपूर्ति अविनाश लवानिया का नाम चर्चा में है। लवानिया सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ.नरोत्तम मिश्रा के दामाद हैं।