इंदौर:टीम इंडिया (Team India) में जगह पाने के लिए मयंक अग्रवाल (Mayank Agarwal) लंबे समय से कोशिश कर रहे थे, लेकिन कई सालों तक घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद भी वे टीम इंडिया (Team India) में जगह हासिल नहीं कर पा रहे थे. लेकिन जब एक बार उन्हें टीम इंडिया (Team India) में जगह मिली, तो उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मयंक ने बांग्लादेश के खिलाफ (India vs Bangladesh) पहले टेस्ट मैच में अपने करियर का दूसरा दोहरा शतक लगाने के बाद कहा कि उन्होंने अपने करियर मे असफलता के बारे में सोचना छोड़ दिया था जिसके कारण उनका खेल और निखरकर कर सामने आया है
करियर का दूसरा रिकॉर्ड तोड़ दोहरा शतक
मंयक ने ने यहां शुक्रवार को टेस्ट मैच के दूसरे दिन दमदार बल्लेबाजी की और 243 रनों की शानदार पारी खेलकर भारत को बड़े स्कोर तक पहुंचाया. मयंक ने इस पारी में छक्के के साथ अपना दोहरा शतक पूरा किया. मयंक की यह 12वीं पारी में करियर का दूसरा शतक है जबकि डॉन ब्रैडमैन को अपने दूसरे दोहरे शतक के लिए 12 पारियों का इंतजार करना पड़ा था.
क्या रही थी मयंक की मानसिकता
मैच के बाद अग्रवाल ने कहा, “मानसिकता की बात की जाए तो मैंने अपने जेहन असफलता का डर निकाल दिया है जिसके कारण मुझे में बहुत बड़ा बदलाव आया है. मन से डर को निकालने के बाद मुझमें रनों की भूख पैदा हो गई, ऐसा भी समय रहा है जब मैं रन नहीं बना पाया. अब मैं जब भी सेट हो जाता हूं तो बड़े रन बनाने की कोशिश करता हूं.”
बहुत आनंद दिया अब तक इस सफर ने
अपने सफर पर बात करते हुए अग्रवाल ने कहा, “निश्चित रूप से मैंने अपने सफर का बहुत आनंद लिया है. मेलबर्न में मेरा पहला मैच खेलना बहुत खास था. मैंने टीम की जीत में योगदान दिया और भारत ने पहली बार आस्ट्रेलिया में सीरीज जीती इससे मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ.”
टीम के बाकी खिलाड़ी करते हैं प्रेरित
अग्रवाल ने कहा, “यही वह भावना है जो मुझे और टीम के बाकी खिलाड़ियों को आगे बढ़कर टूर्नामेंट जीतने के लिए प्रेरित करती है. मैं एक समय पर एक गेंद खेलने और जब तक संभव हो बल्लेबाजी करने का प्रयास करता हूं.”