FATF: टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल रहा है पाकिस्‍तान, जानें- पूर्व राजदूत हक्‍कानी की राय

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इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान के भविष्‍य को लेकर फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। ये फैसला उसको काली सूची में डालने का हो सकता है। बुधवार 21 अक्‍टूबर से शुरू होने वाली इस तीन दिवसीय वर्चुअल बैठक पाकिस्‍तान के ग्रे लिस्‍ट में बने रहने की समीक्षा की जानी है। अमेरिका में बतौर पाकिस्‍तानी राजदूत अपनी सेवाएं दे चुके हुसैन हक्‍कानी मानते हैं कि पाकिस्‍तान अपने यहां पर मौजूद आतंकी संगठनों, इनके आकाओं और टेरर फंडिंग को रोक पाने में पूरी तरह से विफल रहा है। इसके बाद भी पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री लगातार इस बात को कहते नहीं थक रहे हैं कि उनका देश इससे जल्‍द बाहर आ जाएगा। वहीं दूसरी तरफ पूर्व राजदूत और हडसन इंस्टिट्यूट में साउथ एंड सेंट्रल एशिया के डायरेक्‍टर हुसैन हक्‍कानी का कहना है कि पाकिस्‍तान ने चार वर्षों में इस अंतरराष्‍ट्रीय संगठन के दिए बिंदुओं को पूरा नहीं किया है। पाकिस्‍तान पूरी तरह से टेरर फंडिंग और मनी लॉड्रिंग को रोकपाने में नाकाम रहा है। उसकी जमीन पर आज भी पहले की ही तरह से आतंकी मौजूद हैं।
हक्कानी का ये भी कहना है कि कुछ देश चाहते हैं कि एफएटीएफ पाकिस्‍तान के खिलाफ ठोस फैसला लेते हुए उसको काली सूची में डाले। आपको बता दें कि इस सूची में फिलहाल ईरान और नॉर्थ कोरिया ही हैं। हक्‍कानी ने पाकिस्‍तान और उस पर लटकी एफएटीएफ की तलवार के मुद्दे पर ‘द डिप्‍लोमेट’ में एक लेख लिखा है। इसमें उन्‍होंने लिखा है कि पाकिस्‍तान का आतंकियों पर लगाम लगाने का ट्रेक रिकॉर्ड पहले से ही बेहद खराब रहा है। यही वजह थी कि इसको एफएटीएफ ने ग्रे लिस्‍ट में डाल दिया था। ग्रे लिस्‍ट दरअसल, इस बात का संकेत होता है कि सरकार अपने यहां पर टेरर फंडिंग और टेरर ग्रुप पर लगाम लगाए और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की लगातार समीक्षा की जाती है।
हक्‍कानी ने अपने लेख में आगे लिखा है कि पाकिस्‍तान ब्‍लैक लिस्‍ट होने से बचना चाहता है और इसके लिए वो दूसरे हथकंडे अपनाता है। वो लगातार इससे बचता भी जा रहा है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि एफएटीएफ की बैठक जो आज हो रही है वो पहले जून में होनी थी। लेकिन, वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से ये संभव नहीं हो सका था। इसके चलते पाकिस्‍तान को एफएटीएफ के बताए सभी बिंदुओं को पूरा करने के लिए चार माह का समय और मिल गया था। इसके बावजूद वो इसमें विफल रहा है। उन्‍होंने लेख में लिखा है कि एफएटीएफ की पहली फॉलोअप रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान ने इस संबंध में बेहद कम प्रगति की है। इसमें पाकिस्‍तान की म्‍यूच्‍वल इवेल्‍यूवेशन रिपोर्ट को शामिल किया गया है। पाकिस्‍तान को वर्ष 2018 में एफएटीएफ ने ग्रे लिस्‍ट में डाला था। उस समय पाकिस्‍तान को मनी लॉड्रिंग और टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए 27 बिंदुओं पर काम करने के लिए कहा गया था। लेकिन अब तक पाकिस्‍तान केवल 14 बिंदुओं को ही पूरा कर सका है। 13 बिंदुओं पर उसने कोई काम ही नहीं किया है।
हक्‍कानी ने अपने लेख में आगे लिखा है कि पाकिस्‍तान लगातार दी गई समयाविधी को आगे बढ़ाता रहा है। पाकिस्‍तान उन आतंकी संगठनों पर भी कार्रवाई नहीं कर सका है जिनको सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंधित करार दिया है। इनमें अल कायदा, लश्‍कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्‍मद का नाम शामिल है। पाकिस्‍तान की तरफ से इन पर लगाम लगाने के लिए कोई गंभीरता भी दिखाई नहीं दे रही है। न ही पाकिस्‍तान आतंकी संगठनों के आकाओं पर कार्रवाई करने के प्रति गंभीर दिखाई देता है। इसमें उन्‍होंने लिखा है कि एफएटीएफ की इस बैठक से करीब एक माह पहले पाकिस्‍तान ने 964 आतंकियों की प्रॉपर्टीज को जब्‍त किया था। इसमें जमात उद दावा और जैश ए मोहम्‍मद का नाम भी शामिल था।
हक्‍कानी ने अपने लेख में कहा है कि फरवरी में आतंकवाद विरोधी कोर्ट ने जमात उद दावा के चीफ हाफिज मोहम्‍मद सईद को साढ़े पांच वर्ष की सजा सुनाई थी । ये सजा सईद को टेरर फंडिंग के मामले में सुनाई गई थी। इसी वर्ष अगस्‍त में सईद के तीन साथियों को भी कोर्ट ने सजा सुनाई थी अगस्‍त में ही दुनिया को दिखाने के लिए सरकार ने एंटी मनी लॉड्रिंग एंक्‍ट 2020 को आनन-फानन में पास कर दिया था और अपने क्रिमीनल प्रोसिजर कोड में बदलाव करने की कोशिश की थी। लेकिन सांसदों के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो सका। अपने लेख में उन्‍होंने ये भी लिखा है कि पाकिस्‍तान दुनिया को पागल बनाने के लिए आतंकियों पर कार्रवाई का ढोंग कर रहा है। अफसोस की बात है कि इस पर दुनिया का ध्‍यान नहीं गया हे। पाकिस्‍तान ऐसा केवल प्रतिबंधों से बचने के लिए कर रहा है। उन्‍होंने ये भी लिखा है कि चीन लगातार उसको बचाता आ रहा है।