मास्को वार्ता में तालिबान को आमंत्रित करेगा रूस, बढ़ेगी दोनों देशों में नजदीकी

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मास्को। अफगानिस्तान में सत्ता कब्जाने वाले कट्टर इस्लामिक समूह तालिबान से रूस नजदीकी बढ़ाने जा रहा है। रूस ने गुरुवार को कहा कि वह 20 अक्टूबर को अफगानिस्तान पर होने वाली मास्को प्रारूप बैठक में तालिबान के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करेगा। अफगानिस्तान के लिए रूसी राष्ट्रपति के विशेष दूत व विदेश मंत्रालय के द्वितीय एशियाई विभाग के निदेशक जमीर काबुलोव के हवाले से टीएएसएस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘रूस अफगानिस्तान पर प्रस्तावित प्रारूप बैठक के लिए तालिबान के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करेगा।’

हालांकि, काबुलोव ने यह स्पष्ट नहीं किया कि तालिबानी प्रतिनिधि किस स्तर के होंगे। छह दलों की प्रणाली के आधार पर मास्को प्रारूप वर्ष 2017 में निर्धारित किया गया था। इसका उद्देश्य रूस, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान व भारत के बीच विशेष प्रतिनिधियों के जरिये परामर्श करना था।

जल्द समावेशी सरकार बनाए तालिबान

पिछले दिनों रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तालिबान को कहा था कि वह जल्द से जल्द समावेशी सरकार बनाए। उसमें सभी लोगों का प्रतिनिधित्व हो। जनता के साथ जो भी वादे किए हैं, उनको पूरा करें। उन्होंने यह भी कहा कि रूस अफगानिस्तान में आतंकवाद रोकने, समावेशी सरकार व जनता से किए वादों को पूरा कराने के लिए अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रहा है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा था कि तालिबान को महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करना होगा। तालिबान ने सार्वजनिक रूप से जो बात कही हैं, उनको पूरा करके दिखाए।

रूस का यह सख्‍त रुख तालिबान के उस बयान के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि पाकिस्‍तान और दुनिया के बाकी मुल्‍कों को इस्लामिक अमीरात से अफगानिस्तान में एक ‘समावेशी’ सरकार बनाने के लिए कहने का कोई भी अधिकार नहीं है। अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार गठन के बाद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कहा था कि अफगानिस्‍तान में एक समावेशी सरकार का गठन किया जाना चाहिए। अमेरिका भी तालिबान से बार- बार इसी बात पर जोर दे रहा है।

रूस ने कहा था कि अफगानिस्‍तान में तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता देने पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। रूस का कहना है कि इस बारे में फैसला लेने से पहले वह वहां घटनाक्रम का बारीकी से अवलोकन करेगा। रूस अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता देखना चाहता है। हालांकि, तालिबान के कब्जे के बाद कई देशों ने काबुल में अपने दूतावास बंद कर दिए। लेकिन रूस, चीन, पाकिस्तान ने अपने दूतावास नहीं बंद किए

तालिबान को लेकर आशंकित रहा है रूस

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद रूस इस बात से आशंकित रहा है कि इस्लामिक उग्रवादी समूह मध्य एशिया के पूर्व सोवियत गणराज्यों में घुसपैठ कर सकता है, जिसे मास्को अपने रक्षात्मक बफर के रूप में देखता है। तालिबान के कब्जे के बाद मास्को ने ताजिकिस्तान में सैन्य अभ्यास किया था। अपने टैंक तैनात किए थे। पुतिन ने ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली राखमोन से फोन पर बातचीत भी की थी। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर बातचीत की।