संयुक्त राष्ट्र महासचिव अगले साल जा सकते हैं हिरोशिमा, 75 साल पहले परमाणु बमबारी में हुआ था नष्ट

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टोक्यो। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उम्मीद जताई है कि वह अगले साल जापान के हिरोशिमा शहर का दौरा कर सकते हैं, जिसे 75 साल पहले अमेरिकी परमाणु बमबारी ने नष्ट कर दिया था। गुटेरेस ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में जापानी मीडिया से कहा कि मुझे उम्मीद है कि मैं अगले साल हिरोशिमा जा सकूंगा। उन्होंने इस बात पर निराशा जताई कि COVID-19 महामारी के कारण वह इस साल हिरोशिमा नहीं जा सके।

गुटेरेस ने कहा, ‘मैं हिरोशिमा के लोगों, जापान के लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना, एकजुटता और परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रतिबद्धता को व्यक्त करना हूं।’ बता दें कि 6 अगस्त, 1945 को, अमेरिकी वायु सेना ने हिरोशिमा पर एक परमाणु बम गिराया, जिससे 146,000 लोग मारे गए। तीन दिन बाद, अमेरिका ने नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराया जिसमें 80,000 लोगों की जान गई। दो जापानी शहरों पर हमले सशस्त्र संघर्ष में परमाणु हथियारों के उपयोग का एकमात्र उदाहरण हैं।

पिछले महीने ही जापान पर परमाणु हमले को 75 साल हुए थे। दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है। लेकिन इन संकटों से निपटने के साथ हमें उन मुसीबतों को भी ध्यान में रखना चाहिए जो मानव द्वारा, मानव के लिए ही खड़ी की गई हैं। 75 साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी को परमाणु बम गिराकर नष्ट कर दिया था। तब से दुनिया में परमाणु जखीरे को कम करने के लिए तमाम प्रयास हुए, लेकिन आज भी तस्वीर स्याह ही है।

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी के 75 साल बाद 13 हजार से अधिक परमाणु हथियार अभी भी दुनिया के विभिन्न देशों के पास हैं। आसमान का सीना चीरने वाले लड़ाकू विमानों से लेकर समुद्र की गहराई मौजूद पनडुब्बियों में बैलेस्टिक मिसाइलें इन हथियारों से लैस हैं।

6 अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिकी वायु सेना ने जो एटम बम गिराया था उसका नाम लिटिल ब्‍वॉय था। अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने अटलांटिक महासागर में आगस्ता जहाजी बेड़े से की गई अपनी घोषणा में इस बम को 20 हजार टन की क्षमता का बताया था। हिरोशिमा जापानी सेना को रसद की आपूर्ति करने वाले कई केंद्रों में से एक था। हिरोशिमा पर किया गया हमला दरअसल जापानी नौसेना द्वारा 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर हुए हमले का बदला था। पर्ल हॉर्बर के हमले के बाद अमेरिका ने दूसरे विश्‍व युद्ध का एलान कर दिया था और वो जापान के खिलाफ पूरी ताकत के साथ युद्ध के मैदान में उतर गया था।

6 अगस्‍त सुबह 8:16 बजे जमीन से 600 मीटर ऊपर एटम बम फटा था। महज 43 सेकेंड के अंदर इस शहर का 80 फीसद हिस्‍सा भाप बन कर उड़ गया था। इस बम धमाके से 10 लाख सेल्शियस तापमान हो गया था। इतनी भयंकर गर्मी की वजह से लोगों की हड्डियां भी भाप बन गई थी। इस हमले में जो कुछ गिने चुने लोग बचे थे उनके शरीर के कई अंग चीथड़े बन चुके थे। इस बम धमाके से शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए और 70,000 से 80,000 लोग कुछ ही पल में मारे गए थे। इस हमले के कई सालों बाद भी यहां से निकलने वाली घातक किरणों की वजह से लोग अपंग पैदा होते रहे थे। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी। बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हजार की आबादी में से 1 लाख 40 हजार लोगों से भी ज्यादा इसमें मारे गए थे